परवेज अख्तर/सिवान : ईद कुछ घंटों के बाद आने वाला है। शुक्रवार को रमजान के जुमे की अलविदा नमाज पढ़ी जाएगी। इसके बाद शाम को दूज का चांद देखने तथा शनिवार को ईद की पूरी संभावना है। इसको लेकर सामानों की खरीदारी के लिए जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों के बाजारों में काफी चहल-पहल बढ़ गई है। दो दिनों से बाजार में काफी भीड़ हो रही है। कपड़े, सेवई, राशन, शृंगार, फल आदि की दुकानों पर विशेष भीड़ देखी जा रही है। वहीं सेवइयों की खरीदारी में लोग जुटे हुए हैं। बाजारों में देर रात तक खरीदारी की जा रही है। बाजार में सेवइयां, कपड़े, इत्र, मिट्टी के प्याले, चीनी, ड्राई फ्रूट, टोपी समेत विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी में लोग लगे हुए हैं। महिलाएं भी खरीदारी में पीछे नहीं है। शृंगार पैलेस और चूड़ी की दुकान पर भी महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है।
बैंकों व एटीएम में उमड़ रही भीड़
बैंकों में भी ईद के आगमन का असर है। ईद की सामग्री की खरीदारी के लिए बैंक और एटीएम से रुपये निकालने के लिए सुबह से ही लंबी कतारें लग रही हैं। देहाती क्षेत्र के एटीएम में राशि नहीं होने पर लोग शहरों की तरफ विभिन्न एटीएम की ओर रुख अपना रहे हैं।
ईदगाहों व मस्जिद को संवारने में जुटे लोग
उधर ईद की नमाज अदा करने के लिए ईदगाहों और मस्जिदों को सजाने-संवारने का काम तेजी से हो रहा है। ईदगाहों की सफाई में सामाजिक कार्यकर्ता एवं मजदूर लगे हुए हैं। मस्जिदों की रंग-रोगन, साफ सफाई के अलावा झालर और झंडे से सजाया जा रहा है। ईदगाह और मस्जिद में ईद के दिन नमाज पढ़ने वालों की उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए कालीन की खरीदारी की गई है। वहीं निर्माणाधीन ईदगाह और मस्जिद मे निर्माण कार्य तेज कर दिया गया है। उधर प्रशासन ने भी ईद को शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने की तैयारी कर ली है।
सेवई के प्याले में किमामी का रहेगा जलवा
ईद के दिन मेहमानों की खातिरदारी सेवइयों के साथ करने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। हर साल की तरह इस साल भी बाजार में कई तरह की सेवई उपलब्ध है। किमामी, रुमाली रंग-बिरंगे लच्छा के अलावा परंपरागत मोटी सेवई, जर्दा सेवई ईद के दिन बनाई और खिलाई जाती है, लेकिन बनारस की किमामी को विशेष पसंद किया जाता है। दूध की कमी के कारण इसने अपनी जगह बना ली है। भारत के पड़ोसी देशों में भी किमामी काफी पसंद की जाती है। हालांकि यह सेवई वहां भारत से ही उपलब्ध कराई जाती है। बताते हैं कि खाड़ी देशों में ईद के अवसर पर सेवई नहीं बल्कि मीठी चीजें खाने की परंपरा है। रसूले करीम ने फरमाया है कि ईदगाह जाने के पहले ईद के दिन मीठी चीज खाना सुन्नत है।
ईद मनाने वतन लौटे खाड़ी देश में काम करने वाले
ईद का त्योहार अपने परिजन के संग मनाने कई लोग वतन लौटने लगे है। खाड़ी देशों में काम करने गए लोगों का आना शुरू हो गया है। इंग्लिश जोखाली टोला के अब्दुल मन्नान, इंग्लिश मौजे के शब्बू अंसारी, लालगंज के सच्चे साहब अंसारी समेत काफी संख्या में अपने परिवार के साथ ईद की खुशियों में शामिल होने के लिए अपने घर वापस पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस बार ईद परिवार संग मनाने की उन्होंने ठान ली थी। विदेशों में काम करने वाले लोगों को जब ईद मनाने के लिए घर वापसी की छुट्टी नहीं मिल पाती थी तो ईद का दिन उदासी में कटता था। इस बार इनके घर आ जाने से परिवार में ईद की खुशी दोगुनी हो गई है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक ज्यादा ही खुश नजर आ रहे हैं। कई साल से छुट्टी नहीं मिलने के कारण इनकी ईद विदेश में ही हो रही थी।
पगार मिले बिना कैसे मनेगी ईद
ईद के पूर्व सभी नियोजित शिक्षकों को वेतन भुगतान करने का आश्वासन शिक्षा मंत्री ने दिया था, इससे चार महीने से बिना वेतन मिले काम कर रहे शिक्षकों में उम्मीद जगी थी, लेकिन अब उन्हें ऐसा लगने लगा है कि वेतन के अभाव में उनके घर ईद का मिठास फीकी रहेगी। मार्च 18 से ही नियोजित शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। बिहार परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष महबूब आलम ने कहा कि दु:ख की बात है कि सभी शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा सका।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]