परवेज अख्तर/सिवान: सीवान के महाराजगंज प्रखंड के पटेढ़ी गांव के रहने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा की 113 वीं जयंती मनाई गई। इस दौरान महाराजगंज शहर मुख्यालय के राजेंद्र चौक पर स्थित उनके स्मारक पर महागठबंधन के नेताओं ने बारी बारी से श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
इस दौरान कांग्रेस नेता रमेश उपाध्याय ने कहा कि समाजवादी चिंतक महामाया प्रसाद के जयंती पर समाजवादी सरकार उनके धरोहर को भुलाने का काम किया है। उन्होंने महामाया बाबू को युवाओं के नेतृत्व करने वाला नेता बताया। कहां की लानत है इस सरकार पर जो महामाया प्रसाद सिन्हा के शानदार इतिहास को भुला दिया गया। महामाया बाबू 1967 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। यह आजादी के बाद प्रदेश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी। वे बिहार की राजनीति में त्याग व बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कभी भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया। जिसका परिणाम था कि उनकी सरकार चली गई। महामाया बाबू का जन्म 1 मई 1909 को हुआ था।
महामाया प्रसाद सिन्हा होते तो मिल गया होता जिले का दर्जा
माले नेता व स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सिंह ने कहा कि महामाया बाबू अगर आज होते तो महाराजगंज को जिले का दर्जा कब का मिल गया होता। उन्होंने बताया कि जब वह मुख्यमंत्री बनकर महाराजगंज की धरती पर कदम रखा था तो उन्होंने कहा था कि मेरी पहली प्राथमिकता महाराजगंज को विकासशील क्षेत्र बनाना होगा। उन्होंने अपनी सरकार में भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं किया। महामाया बाबू के द्वारा ही महाराजगंज राजेंद्र चौक से लेकर पटेढ़ी होते हुए बसंतपुर तक जाने वाली महामाया-पथ का निर्माण हुआ था। जिसका फायदा आज भी लोगों को मिल रहा है।