परवेज अख्तर/सिवान : किसानों की आत्महत्या, शिक्षा, इलाज के बेहतर इंतजाम नहीं है। बेतहासा बढ़ती महंगाई मरकजी हुकूमत के लिए यह कोई अहमियत नहीं रखता है। ऐसे में आज अकलियत अपने ही देश में बेगाने महसूस कर रहे हैं। यह बातें गोपालगंज मोड़ स्थित आंबेडकर पार्क में इंसाफ मंच के दूसरे राज्य सम्मेलन में भाकपा माले में राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने उद्घाटन भाषण के दौरान कही। कहा कि हमें आज पूरी हिम्मत और ताकत से इस फांसीवादी दौर में सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करना है। देश पर आए इस खतरे को हम सभी समझ रहे हैं। एससी, एसटी से लेकर तमाम कानूनों में संशोधन करके हक लूटने की कोशिश के खिलाफ आज सभी अमन पसंद आवाम दलितों व अकलियतों को मिलकर लड़ने का वक्त है। कहा कि देश में कुछ लोग जवानों की शहादत पर भी सियासत कर रहे हैं। जिस दिन जवान मारे गए दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, रेल मंत्री पीयुष गोयल अलग-अलग जगहों पर वोट मांग रहे थे। आतंकवादियों पर कड़ी कार्रवाई हो, लेकिन इस नाम पर दो देशों में जंग हो, इससे बेकसूर मारे जाए, ये बातें कही से जायज नहीं है। भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से घटनाएं घटी हैं, इस हादसे की जवाबदेही से सरकार बच नहीं सकती। क्योंकि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने भी माना है कि सुरक्षा में चूक हुई है। मारे गए जवानों को न्यू पेंशन स्कीम के तहत पेंशन नहीं मिलेगा न ही शहीद का दर्जा। क्योंकि वाजपेयी सरकार ने 2006 के बाद सभी विभागों का पेंशन बंद कर दिया है। सभा को धीरेंद्र झा, अफताब आलम, सूरज कुमार ने भी संबोधित किया। सम्मेलन की अध्यक्षता एवं मंच का संचालन केंद्रीय कमेटी सदस्य नैमुद्दीन अंसारी ने की।
अकलियत अपने ही देश में बेगाने महसूस कर रहे हैं : दीपांकर
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