परवेज अख्तर/सिवान : भारत सरकार के शिक्षा, परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में यूनिसेफ व सीआरए ऑफ इंडिया के द्वारा बाल विवाह को रोकने व लोगों को जागरूक करने के लिए एक नया प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत पूरे भारत के 70 स्वयंसेवी संस्थानों को दो साल के अनुबंध पर अभियान चलाने के लिए चिह्नित किया गया है। इसमें बिहार से स्नेही लोकोथान संस्थान को गांवों में जाकर समूह बनाकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस कड़ी में सामुदायिक रेडियो स्नेही द्वारा बचपन एक्सप्रेस के नाम से एक अभियान शुरू किया गया है। लोग कह रहे हैं कि सरकार को द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी बाल-विवाह का प्रचलन अभी भी चल रहा है। लोग आर्थिक तंगी, ऊंच-नीच का डर, मोबाइल युग व बच्चियों को पराया धन मानकर उम्र पर ध्यान नहीं देते हुए शादी कर मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं। पचरुखी प्रखंड के दीनदयालपुर दलित बस्ती की एक महिला ने कहा कि भले ही सरकार ने इसपर प्रतिबंद्ध लगा रखा है। इसके बावजूद लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उखई में उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य अमरेंद्र कुमार सिंह ने बच्चों के ड्राप आउट होने का मुख्य कारण अभिभावकों की लापरवाही बताया।
समाज में बाल-विवाह के प्रति लोगों को किया जा रहा जागरुक
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