परवेज अख्तर/सिवान : दरौली के बलिया में चल रहे नौ दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ के अंतिम दिन शनिवार को बनारस से पधारी मानस मंदाकिनी सुधा पांडेय ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि रामायण चरित्र प्रधान ग्रंथ है। चित्त की सुंदरता से जगत प्रसन्न होते हैं, किंतु चरित्र की सुंदरता से जगदीश प्रसन्न होते हैं। श्रीराम की मर्यादा युगों-युगों तक संसार की पथ प्रदर्शन करती रहेगी। जिन्होंने पराए धन को मिट्टी का ढेला और दूसरे नारी को माता के समान सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि राम के पूर्व संसार में केवल पतिव्रता धर्म चलता था, जिसमें स्त्री-पति को परमेश्वर मान कर उसके प्रति पूर्ण समर्पित रहती थी, लेकिन राम ने अपने राज्य में नारी व्रता संविधान पास किया। रामराज्य के समस्त पुरुषों को पत्नी के प्रति पूर्ण समर्पित रहने का नियम लागू किया गया। आज की वर्तमान दुर्दशा जब चारों ओर चरित्र का ह्रास हो रहा है। जब हमारे समाज में भ्र्ष्टाचार, दुराचार, व्यभिचार का तांडव मचा हो, ऐसे वातावरण में श्रीराम का चरित्र पथ प्रदर्शक का काम करता है। रामायण की शिक्षा समस्त समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। वहीं उन्होंने कहा कि निष्काम भक्ति के बीना जीवन में शांति नहीं मिलती। जिसे कुछ नहीं चाहिए उसको परमात्मा स्वयं पूर्ति करता है। उन्होंने कहा कि सारा संसार कुछ न कुछ अपेक्षा लेकर परमात्मा की उपासना करता हैं, किंतु जो निष्काम भक्ति करता है वैसे भक्तों की उपासना परमात्मा करते हैं। मंच संचालन रतन श्रीवास्तव ने किया। मौके पर राधेश्याम मिश्र, त्रिभुवन मिश्र, जीतेन्द्र मिश्रा, अमर मिश्र, रामाकांत राम, मुन्ना चौरसिया थे।
नौ दिवसीय विष्णु महायज्ञ की हुई पूर्णाहुति
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