परवेज़ अख्तर/सीवान:- जिस वक्त हम गुलाम थे, हमारे पूर्वजों ने अपनी जान देकर देश को आजाद कराया। उनका सपना था कि हमारे देश के सभी वर्गों के लोग आर्थिक , सामाजिक ,नैतिक, धार्मिक और शैक्षणिक रूप से समान हो और समाज के मुख्यधारा से जुड़कर देश के विकास में अपना योगदान दें । परंतु आजादी के बाद देश की हालात किसी से छिपी नहीं है। आज समाज को तोड़ मरोड़ कर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने वाले लोगों ने जाति ,धर्म, संप्रदाय की राजनीति कर देश को कई वर्षों पीछे धकेल दिया है। उक्त बातें सिवान जिला जदयू के के पूर्व प्रवक्ता निकेश चन्द्र तिवारी ने कही। पूर्व प्रवक्ता ने कहा कि देश को पीछे होने में कई कारण हैं। उसी में से एक कारण आरक्षण भी है। संविधान निर्माताओं ने आरक्षण का प्रावधान इसलिए किया कि उस वर्ग के पिछड़े लोग आरक्षण का लाभ उठा कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो सका। श्री तिवारी ने जोर देकर कहा कि आरक्षण का लाभ वही लोग उठा रहे हैं उस वर्ग में हर तरह से संपन्न है। निश्चित तौर पर उस वर्ग के संपन्न लोग अपने ही वर्ग के लाचार और गरीब भाइयों का हकमारी कर रहे हैं । इसलिए मेरा मानना है कि गरीबी और गरीबों का आकलन होना चाहिए , इसका एक लेवल होना चाहिए और आरक्षण में यह प्रावधान होना चाहिए कि उस लेवल तक के लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। इसलिए मेरे समझ से निश्चित तौर पर आरक्षण पर समीक्षा होना चाहिए पूर्व प्रवक्ता ने कहा ऐसा नहीं कि मैं आरक्षण का विरोधी हूं। मैं भी आरक्षण का समर्थन करता हूं। परंतु जातिगत रूप से दी जाने वाली आरक्षण का मैं विरोध करता हूं । हर जाति और धर्म में गरीब लोग हैं । उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। आरक्षण जातिगत आधार पर ना होकर आर्थिक आधार पर होना चाहिए । यह आरक्षण समाजवाद में रोड़ा बन के रह गया है। इसके बदौलत वही लोग बढ़ रहे हैं जो पहले से ही बढ़े हैं। यह आरक्षण भगवान शंकर और माता पार्वती के उस कहानी के तरह बन गया है, जिसमें माता पार्वती ने उजड़े हुए हुए कुवें को ही उजाड़ कर अपना चूल्हा बनाया था। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई थी, सही मायने में उस उद्देश्य को पूरा करना है तो जाति भूलकर आर्थिक दृष्टिकोण से पिछड़े हुए प्रत्येक जाति के लोगों को आरक्षण दिया जाए । तब ही सही मायने में वे लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे।
जाति आधार पर नहीं, आर्थिक आधार पर हो आरक्षण : निकेश
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