परवेज़ अख़्तर/ सिवान :- जिले के जी. बी. नगर थाना के तरवारा बाजार के पचरुखी थाना स्थित मदरसा बरकातिया अनवारुल उलूम के हेड मास्टर मौलाना हामिद रज़ा शम्सी ने रमज़ानुल मुबारक की फ़ज़ीलत बयान करते हुए बताया कि माहे रमज़ान में एक दिन का रोज़ा रखना एक हज़ार दिन के रोज़ों से अफ़्ज़ल है और माहे रमज़ान में एक मरतबा तस्बीह़ करना (यानी कहना) इस माह के इ़लावा एक हज़ार मरतबा तस्बीह़ करने (यानी ) कहने से अफ़्ज़ल है और माहे रमज़ान में एक रक्अ़त पढ़ना गै़रे रमज़ान की एक हज़ार रक्अ़तों से अफ़्ज़ल है। अमीरुल मुअ्मिनीन ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूक़े आज़म रजि से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं: (तर्जमा) “रमज़ान में जि़क्रुल्लाह करने वाले को बख़्श दिया जाता है और इस महीने में अल्लाह तआला से मांगने वाला मह़रूम नहीं रहता।” जो खु़श नस़ीब मुसल्मान माहे रमज़ान में इन्तिक़ाल करता है उस को सुवालाते क़ब्र से अमान मिल जाती, अ़ज़ाबे क़ब्र से बच जाता और जन्नत का ह़क़दार क़रार पाता है। चुनान्चे ह़ज़राते मुह़द्दिस़ीने किराम का क़ौल है, “जो मो’मिन इस महीने में मरता है वो सीधा जन्नत में जाता है, गोया उस के लिये दोज़ख़ का दरवाज़ा बन्द है। ”तीन3 अफ़राद के लिये जन्नत की बशारत : ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इब्ने मस्ऊ़द रजि से रिवायत है, हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं: “जिस को रमज़ान के इखि़्तताम के वक़्त मौत आई वो जन्नत में दाखि़ल होगा और जिस की मौत अ़रफ़ा के दिन (यानी 9 ज़ुल हि़ज्जतुल ह़राम) के ख़त्म होते वक़्त आई वो भी जन्नत में दाखि़ल होगा और जिस की मौत स़दक़ा देने की ह़ालत में आई वो भी दाखि़ले जन्नत होगा।” रोज़ादार किस क़दर नस़ीबदार है कि अगर रोज़़े की ह़ालत में मौत से हम-कनार हुआ तो कि़यामत तक के रोज़़ों के स़वाब का ह़क़दार क़रार पाएगा। जन्नत के दरवाजे़ खुल जाते हैं : ह़ज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिक फ़रमाते हैं कि हुज़ूरे अकरमﷺ फरमाते हैं, “यह रमज़ान तुम्हारे पास आ गया है, इस में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे़ बन्द कर दिये जाते हैं और शयात़ीन को कै़द कर दिया जाता है, मह़रूम है वो शख़्स़ जिस ने रमज़ान को पाया और उस की मगि़्फ़रत न हुई कि जब इस की रमज़ान में मगि़्फ़रत न हुई तो फिर कब होगी ?
जिस की मौत स़दक़ा देने की ह़ालत में आई वो भी दाखि़ले जन्नत होगा: मौलाना हामिद रज़ा शम्सी
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