परवेज़ अख्तर/सिवान : रमजान मुबारक का पहला अशरह गुरुवार को समाप्त हो रहा है।पहला अशरह समाप्त होने के साथ ही रोजेदारों का दस रोजा पूरा होने के साथ दूसरा अशरह शुक्रवार से शुरू हो जाएगा। रमजान का प्रथम दस दिन रहमत का अशरह कहा जाता है। कैथवली मस्जिद के पेश इमाम मो. अफसर ने रमजान की फजीलत बताते हुए कहा कि पहली से 10वीं रमजान तक पहले अशरह का विशेष महत्व है। इस अशरह में रोजेदारों ने दिन और रात इबादत में गुजारा। बंदों पर अल्लाह की रहमते बेइंतहा नाजिल हुई। पहले अशरह में अल्लाह रब्बुल इज्जत हर उस रोजेदार को जो खास रजाए इलाही के लिए रोजे जो तमाम नियमों का पालन करते हुए रोजा रखता है उस पर अल्लाह ताला अपनी खास रहमते नाजिल करता है। हदीस शरीफ में है कि इन रहमतों पर मुसलमान अपने रब का जितना भी शुक्र अदा करें वह कम है। अगर सारी जिंदगी भी इस सिजदा ए शुक्र से सिर न उठाए तो भी इस नेमत ए अजीम का शुक्र अदा नहीं हो सकता हदीस शरीफ है कि हजरत रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया कि तुम पर एक महीना आ रहा है जो निहायत मुबारक महीना है। इसमें एक रात ऐसी है जिसकी इबादत हजार महीनों से अफजल है। इस मुकद्दस महीने मे एक फर्ज का सवाब 70 फर्ज के बराबर है और नफिल का सवाब फर्ज के बराबर है। इस महीना में जो किसी रोजेदार को इफ्तार कराए भले ही एक घूंट पानी से ही या एक खजूर से ही इफ्तार क्यों न कराया हो उसको रोजेदार के बराबर सवाब मिलेगा। मौलाना ने रमजान की फजीलत बयान करते हुए कहा कि रहमत एवं बरकत के इस महीने में सुन्नत का सवाब का फर्ज के बराबर और फर्ज काम सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। अल्लाह तआला कुरआन शरीफ के सुरह बक्र में फरमाता है कि ऐ इमान वालों ! तुम पर रोजा फर्ज कर दिए जाते हैं जिस तरह कि तुमसे पहले लोगों पर फर्ज किए गए थे, ताकि तुम परहेजगार बनो। इससे रमजान के रोजे का उद्देश्य स्पष्ट हो जाता है। रमजान की फजीलत इसलिए भी बहुत ज्यादा है कि अल्लाह तआला का मुकद्दस कलाम कुरान पाक इसी माहे मुबारक में नाजिल हुआ सब ए कदर इसी माहे मुबारक में इनायत की गई। इस बारे में अल्लाह तआला फरमाते हैं कि यह रात हजार महीनों से बेहतर है। यह महीना सब्र का है और सब्र का सवाब जन्नत है।
रमजान के पहला अशरह का आज अंतिम दिन
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