परवेज़ अख़्तर/ सिवान:- जिले के जी.बी.नगर थाना के तरवारा बाजार स्थित मदरसा बरकातिया अनवारुल उलूम के हाफिज अब्दुल हसीब अशरफी ने रमज़ानुल मुबारक की फ़ज़ीलत बयान करते हुए बताया कि रमज़ान शरीफ बहुत बरकत वाला महीना है , रमज़ान की फज़ीलतें गिनती से बाहर हैं इस महीना में अल्लाह तआला अपनी रहमतों को हर खास व आम पर नाज़िल फर्माता है।जिस तरह से रमज़ान में एक नेकी का सवाब ज़्यादा होता है उसी तरह से गुनाह का पाप भी ज़्यादा होता है। अगर आदमी ये जान जाता के रोज़ा में कितनी बरकत है तो ये चाहता कि पूरे साल रोज़ा हो। रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने से स्वास्थ्य को भी कई फायदे होते हैं. यही कारण है कि रमजान के अलावा भी कई मुस्लिम और गैर मुस्लिम लोग मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए रोजा या व्रत करते हैं। दुनिया भर में रमजान की रौनक है. सभी मुसलमान रोजे-नमाज से अल्लाह को राजी करने में लगे हुए हैं. लेकिन रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने से सिर्फ इबादत ही नहीं होती, बल्कि इससे सेहत को भी कई फायदे पहुंचते हैं. यही कारण है कि रमजान के अलावा भी कई मुस्लिम और गैर मुस्लिम लोग मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए रोजा या व्रत करते हैं. आइए जानते हैं रमजान में रोजा रखने से सेहत को किस तरह फायदा पहुंचता है।
1. वजन कम होता है- मोटापा आजकल अधिकतर लोगों की समस्या है. लेकिन आप रोजा रखकर बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल कर सकते हैं। खाली पेट रहने या कम मात्रा में खाने से शरीर की सूजन कम होती है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और वजन भी कम होता है।
2. खजूर है जरूरी- रमजान में खजूर का खास महत्व होता है. इस्लाम में रोजा खोलने के लिए खजूर का प्रयोग करने के लिए कहा गया है। खजूर खाने से स्वास्थ्य को भी बहुत लाभ होता है. खजूर खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है।
3. कोलेस्ट्रोल कम होता है- रमजान के रोजे रखने से वजन कम होने के साथ-साथ शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर भी कम होता है. कोलेस्ट्रोल कम होने से दिल स्वस्थ रहता है।
4.पाचन शक्ति बेहतर होता है- रोजे के दौरान दिनभर भूखे प्यासे रहने से पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करने लगता है।
5- बुरी आदतों से छुटकारा- बुरी आदतों से छुटकारा पाने के लिए रमजान सबसे अच्छा समय होता है। धूम्रपान, अल्कोहल और तंबाकू की लत को दूर करने के लिए रमजान सबसे अच्छा समय है।
इस माह में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है।
मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए ज़रूरी है रोज़ा: हाफ़िज़ अब्दुल हसीब अशरफी
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