“मरने वाले मरते है लेकिन फ़ना होते नहीं, वो हकीकत में कभी हमसे जुदा होते नहीं”
परवेज अख्तर/सिवान :- करबला की जंग में इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की शहादत को लेकर मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के मर्दापुर पश्चिम टोला गांव के ग्रामीणों ने हुसैन की शहादत की यादें ताज़ा कर दिया। गांव के “क्या बूढ़े, क्या नवजवान” लोगों में रविवार की देर रात्रि से लेकर सोमवार की अहले सुबह तक हुसैन की याद में मातम करते रहें। इस दौरान या हसन-या हुसैन के नारों से पूरा गांव गूंज उठा। आखाड़ा नंबर 1 का बना आकर्षित ताजिया मेले के रुतबा बढ़ा रही थी। सुरक्षा के दृश्टिकोण से मेला स्थल के इर्द-गिर्द स्थानीय प्रशासन की गढ़िया सडकों पर दौड़ती रही। इस मौके पर प्रमुख रूप से नसीम अहमद (शिक्षक), आरिफ रज़ा, जावेद अहमद, इमरान अहमद, अफरोज आलम, आसिम रज़ा, नूर आलम उर्फ़ लड्डू बाबू, अज़ीमुल अंसारी, भुट्टू अंसारी, फ़िरोज़ आलम समेत आखाड़ा नंबर 1 के सभी हुसैन के चाहने वाले मौजूद रहे।