परवेज अख़्तर/सीवान:- “मरने वाले मरते हैं लेकिन फना होते नहीं वो हकीकत में कभी हमसे जुदा होते नहीं।” ठीक इसी अंदाज में आगामी 10 नवंबर की अहले सुबह सम्पूर्ण जिले के साथ-साथ जिले के जी.बी नगर थाना के तरवारा बाजार, काजिटोला, सरैया, चांचोपाली, बाबू टोला, भरतपुरा, फखरुद्दीनपुर ,चौकी हसन, चांडी, सिकंदरपुर,डीके सारंगपुर,उसरी,नौतन,सोनबर्षा ,समेत दर्जनों से अधिक गांव में पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब की याद में आन-बान व शान के साथ जुलूसे मोहम्मदी निकाली जाएगी।लेकिन इस वर्ष के जुलूसे मोहम्मदी में कुछ अलग नज़ारा देखने को मिलेगा।जुलूसे मोहम्मदी को लेकर तरवारा बाजार स्थित मदरसा बरकातीया अनवारुल उलूम के परिसर में बुधवार की अहले सुबह मदरसा के प्रधानाध्यापक मौलाना हामिद रज़ा शम्शी की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गई।बैठक के दौरान जुलूस मोहम्मदी को लेकर कई बिंदुओं पर विचार -विमर्श किया गया।बतादें की प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी एक अलग अंदाज में जुलूस मोहम्मदी आगामी 10 नवम्बर को सुबह 8 बजे से मदरसा के परिसर से निकाली जायेगी।जो तरवारा बाजार के बिभिन्न मार्गों से होकर गुजरेगा।बाद ने जुलूस सभी मार्गों का भर्मण कर पुनः मदरसा के परिसर में पहुँचेगा।और सलातो सलाम के बाद जुलूस की समाप्ति होगी।जुलूसे मोहम्मदी के दौरान मदरसा के समस्त कर्मियों ने देश मे बढ़ रहे धार्मिक उन्माद के मद्देजर गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने के लिए एक सराहनिय निर्णय लिया है।जुलूसे मोहम्मदी के दौरान डीजे पर पूर्ण रूप से पाबंद लगा दिया गया है। मदरसा के हेडमास्टर मौलाना हामिद रज़ा शम्शी ने कहा कि डीजे के प्रदर्शन से समाज को ध्वनि प्रदूष्ण के साथ -साथ धार्मिक उनवाद जैसे आफत से बचने का सही रास्ता है।जुलूसे मोहम्मदी का मतलब यह हुआ कि हजरत मोहम्मद साहब की याद में उनके बताए हुए रास्ते पर आमजनमानस को शिक्षा देना है।उन्होंने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब समाज को बांटने का काम नही बल्कि समाज को जोड़ कर आपसी मेल मिलाप से रहने संदेश समाज को दिया है। वहीं दूसरी ओर तरवारा पुरानी बाजार स्तिथ जामा मस्जिद के खतिबो इमाम मौलाना फैयाज अहमद कादरी ने कहा कि “जमीं मैली नही होती,जमन मैला नही होता,मोहम्मद के गुलामों का कफ़न मैला नही होता”।उन्होंने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब के बताए हुए रास्ते पर चलने वालों पर कभी सामत नही आएगी।वे लोग हमेसा खुशहाल रहेंगे। जो हजरत मोहम्मद साहब के बताए हुए रास्ते पर चलते है।उन्हें हमेसा कामयाबी मिलती रहती है।बैठक में मौलाना अहमद रजा, मुफ्ती इस्तेयाक रजा, हाफिज अब्दुल हसीब असरफी, जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता अब्दुल करीम रिजवी, मौलाना मोहम्मद अली साहब, ग्यासुद्दीन शाह, मौलाना अब्दुल हमीद शाह ,समाजसेवी मिस्टर अंसारी, शमशाद रिज़वी, मुर्तुजा आलम,रोमी सरकार,इमरान आलम,अमजद आलम उर्फ नेता जी,फिरोज आलम,नौशाद आलम,गोल्डेन सैफी, नेयाज सैफी, सब्बीर अंसारी, रेयाज सैफी, सोनू सैफी, हफीज सैफी, रुस्तम सैफी, मुमताज शाह,भोला शाह, मो.नेयाजुलहक,मो.एमामूलहक,मो.जियाउलहक ,शाकिब मल्लिक,मेराज मल्लिक,रिज़वान अहमद,सोनू आलम,समाजसेवी सोना अंसारी ,इफ्तेखार अली उर्फ सोनू बाबू,अफजल ईराकी,मन्नान ईराकी, इफ्तेखार ईराकी समेत दर्जनों से अधिक ग्रामीण मौजूद थे।
जमीं मैली नही होती,चमन मैला नही होता, मोहम्मद के गुलामों का कफ़न मैला नही होता:- मौलाना कादरी
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