चिकित्सा के क्षेत्र में यूनानी चिकित्सा एक बेहतर विकल्प , अजमल केटी

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परवेज़ अख्तर/सिवान:- नेशनल कॉन्फ्रेंस कम वर्कशॉप ऑफ यूनानी मेडिसिन के दूसरे सत्र में साइंटिफिक सेशंस का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में झारखंड केरल तमिलनाडु उत्तर प्रदेश तथा बिहार के विभिन्न जिलों से चिकित्सक प्रतिनिधि के रूप में इस कांफ्रेंस में शामिल हुए। जिसमें तमिलनाडु से आए हुए हकीम सालेह ने 150 यूनानी सिंगल ड्रग का डिस्प्ले किया वही डॉक्टर अख्तर अली ने क्लासिकल डोसेज ऑफ यूनानी मेडिसिन के महत्व पर अपनी बात करते हुए कहा कि समय की जरूरत के हिसाब से चिकित्सा विज्ञान दवाओं के स्वरूप और उसके खाने के तरीके में परिवर्तन लाता जा रहा है और इस क्रम में यूनानी क्षेत्र में शोध की जरूरत है ताकि मरीजों की आवश्यकताओं के अनुसार दवाओं के रूप को बनाया जा सके जो कि और अधिक कारगर होगा कार्यक्रम में मुख्य वक्ता केरल से आए हुए तथा भारत सरकार के एनआरएचएम में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में सहयोगी हकीम अजमल केटी ने यूनानी के सशक्तिकरण विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में मेडिसिन के क्षेत्र में एक विकल्प की तलाश की जा रही है ताकि मरीज को सुरक्षित चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके निश्चित रूप से दवाओं की खास करके एंटीबायोटिक्स की असफलता और शरीर में अभूतपूर्व रेसिस्टेंस कहीं ना कहीं पूरे चिकित्सा विज्ञान को वापस अपनी जड़ों तक आने के लिए मजबूर कर रहा है ऐसे में यूनानी चिकित्सा एक बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आ रही है उन्होंने बताया कि यूनानी चिकित्सा विज्ञान फिजिक्स पर आधारित है और शरीर भी फिजिक्स है इस प्रकार यह शरीर की समस्याओं का सही निदान करने में सक्षम है जबकि पूरी दुनिया केमिस्ट्री और गणित में फंसी हुई है इसी वजह से बीमारियों से आज बहुत बड़ा मानव समूह ग्रसित है और उचित निदान प्राप्त नहीं हो रहा है उन्होंने बताया कि यूनानी दवाओं मैं एक्सट्रेक्ट ना होकर संपूर्ण गुणों पर आधारित होती है जिसके कारण शरीर को अपेक्षित लाभ होता है। यह मानव के टेंपरामेंट के ऊपर आधारित चिकित्सा विज्ञान है । गरम शुष्क सर्द तथा तर यह चार टेंपरामेंट संतुलन में अगर होते हैं तब मनुष्य स्वास्थ्य रहता है इनमें असंतुलन बीमारी का कारण होता है चिकित्सक को दवा लिखने से पहले टेंपरामेंट में जो असंतुलन है उसकी पहचान करना आवश्यक होता है यदि चिकित्सक पहचान ले कि कौन से टेंपरामेंट में असंतुलन है तो कठिन से कठिन असाध्य बीमारियां यूनानी दवाओं से जड़ से ठीक की जाती हैं। कार्यक्रम में पटना से आए हुए डॉक्टर नीलू यादव ने ओवेरियन सिस्ट पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए महिला चिकित्सकों के बीच काफी बेहतरीन तरीके से अपनी पहचान बनाई उन्होंने महिला मरीजों में बिनाइन ओवेरियन सिस्ट की समस्या पर प्रकाश डाला और इससे जुड़ी हुई महिला रोगियों के समस्याओं से डेलीगेट का परिचय कराया। उन्होंने बताया कि अगर सिस्ट बड़ा हो रहा है तो तुरंत सर्जरी के द्वारा उसको निकाल देना उचित होता है उन्होंने विवाह से पहले सभी महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट से बचने के लिए टीका देने की बात कही उन्होंने बताया कि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस पुरुषों से महिलाओं के शरीर में जाता है यदि इसका टीकाकरण महिलाओं के शादी से पहले हो जाए इस प्रकार बहुत सारी समस्याओं से महिलाओं को बचाया जा सकता है। बुद्धा कैंसर इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ अरविंद कुमार ने कैंसर के प्रति जागरूकता पर जोर दिया और बताया कि प्रत्येक कैंसर डेथ सेंटेंस नहीं होता आखिर क्या कारण है कि यूरोप और अमेरिका में कैंसर के मरीज की मृत्यु दर भारत के मरीज की मृत्यु दर से बहुत कम है निश्चित रूप से वहां जागरूकता और फर्स्ट स्टेज में कैंसर को पकड़ने का स्क्रीनिंग करने का बेहतरीन इंतजाम है हमें भारत में भी इस लड़ाई को लड़ना होगा और चिकित्सकों को कैंसर को हराने के लिए अपने ज्ञान को अपडेट करते रहना होगा ताकि मरीजों को उचित इलाज और परामर्श दिया जा सके श्री साई हॉस्पिटल के डॉ रामेश्वर कुमार सिंह ने रोड ट्रेफिक एक्सीडेंट पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया उन्होंने बताया कि एक्सीडेंट के बाद का जो पहला घंटा है वह मनुष्य को जीवन दान दे सकता है इस स्थिति में चिकित्सक का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होता है एवं रोगियों के परिजन तथा सड़क पर गुजरते हुए राहगीरों का भी फर्ज है कि अगर कहीं एक्सीडेंट हुआ है तो जल्द से जल्द मरीज को अस्पताल या ट्रामा सेंटर में भेजा जाए ताकि पहले 60 मिनट के अंदर जान बचाने संबंधी जो भी उपाय है चिकित्सक कर सकें उन्होंने कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग प्रकार के रोड ट्रेफिक एक्सीडेंट और उसके मैनेजमेंट पर प्रकाश डाला। साइंटिफिक सेशन का संचालन कमेटी के सचिव डॉक्टर तौकीर अहद ने किया अध्यक्षता युनानी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर जाहिद हुसैन ने किया जबकि इस अवसर पर डॉक्टर मोहम्मद इसराइल डॉक्टर चिराग अली डॉक्टर एमबी खान डॉक्टर मुदस्सीर इकबाल डॉक्टर जेबा परवीन डॉक्टर मुजफ्फर इकबाल डॉक्टर अंजुम इकबाल डॉक्टर रोहित शबाना डॉ अलाउद्दीन खान डॉ मोहम्मद आबिद हुसैन डॉक्टर इल्तेफात अमजदी डॉक्टर के एहतेशाम अहमद डॉक्टर रवि उद्दीन डॉक्टर रहमान डॉक्टर मामून डॉक्टर हमजा उस्मानी डॉ मिर्जा सरफराज डॉक्टर आफताब आलम डॉ तनवीर मजहर डॉ आसिफ हुसैन डॉक्टर एम ए जाहिद डॉक्टर अब्दुल्ला ने अपने विचार रखे जबकि डॉ वसीम उल हक ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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