परवेज़ अख्तर/सीवान:- सरकार ने उपजाऊ मिट्टी की उर्वरा कायम रखने हेतु एवं कृषि को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी की कटाई पर रोक लगाई है। इसके बावजूद जेसीबी संचालक चोरी छिपे मिट्टी काट रहे हैं और बेच रहे हैं। विशेषकर दो फसली खेतों की मिट्टी। जहां उपजाऊ मिट्टी की परत अनुमानतः दो से तीन मीटर से अधिक नहीं है। अगर यह कटाई लगातार जारी रही तो फसलों के लिए वह दिन दूर नहीं जब फसलों के लिए उर्वर मिट्टी मिलनी मुश्किल हो जाएगी।हालांकि खनन विभाग के पास निबंधन/पंजीयन/स्वीकृति पट्टा का होना सरकार ने अनिवार्य शर्त बनाया है।लेकिन मिट्टी कटाई के लिए ना केवल मिट्टी काटने वाले बल्कि जिसके खेत से मिट्टी की कटाई होनी है उनका भी निबंधन जरूरी है। इसके अलावे सबसे अधिक मिट्टी कटाई की चोरी चंवर क्षेत्रों से हो रही है।जो कि मुख्य मार्ग से लगभग एक किमी के भीतर हो रही है।इनकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि ये लोग रातों-रात कौन कहे दिन के उजाले में सरकारी जमीन यहां तक कि बांध भी काट कर गायब कर चुके हैं।उदाहरण के तौर पर पचरुखी प्रखंड के शंभोपुर, मिठनपुरा, सुरवाला, घोड़गहियां, बड़कागांव, मंझरिया, निजामपुर, बंजरिया, आदि चंवर में प्रतिदिन रात्रि को कहीं ना कहीं मिट्टी कटाई होती है।ये तो उदाहरण मात्र हैं।ऐसा कई जगह चलते होंगे। ये जेसीबी संचालक इतने शातिर है कि खनन विभाग एवं पुलिस पर निगरानी के लिए मुख्य सड़क पर दो-तीन गुर्गे बैठाकर रहता है।जिनको भी जेसीबी संचालनकर्ता प्रतिदिन की दिहाड़ी देते हैं।जिससे की सूचना के बावजूद पुलिस-प्रशासन के पहुंचते-पहुंचते दूसरे रास्ते से भाग खड़ा होता है।
सूचना के बावजूद नहीं होती है त्वरित कार्रवाई
जिले का खनन विभाग हो या स्थानीय थाना त्वरित कारवाई नहीं करते हैं।यह स्थिति तब देखने को मिली जब सुरवाला गांव में अवैध मिट्टी खनन की सूचना दी गयी तो खनन विभाग ने पुलिस को फोन करने को कहा तो वहीं पुलिस ने खनन विभाग को कहते रहे।यह स्थिति तब है जबकि काटी जा रही मिट्टी की जमीन सरकारी बतायी जाती है। मिलीभगत का अंदेशा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब तक थाना पहुंचती है तब तक जेसीबी संचालक मिट्टी कटाई कर फरार हो चुके होते हैं।
क्या कहते हैं पचरुखी अंचलाधिकारी गिन्नीलाल प्रसाद
मामले की जांच कर्मचारी को भेज कर करायी जाएगी। उचित कानूनी कारवाई की जाएगी।
क्या कहते हैं खनन पदाधिकारी
अगर जमीन सरकारी है तो इसके लिए सीओ स्वयं कारवाई करने के लिए सक्षम पदाधिकारी हैं। जबकि निजी जमीन में भी बिना निबंधन के मिट्टी कटाई नहीं की जा सकती।स्थानीय थाना को सूचित करते हैं।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]