परवेज अख्तर/सिवान: सत्य का संगत करना हीं सतसंग कहलाता है। सतसंग के
बिना प्रभु रुपी ज्ञान मनुष्य को मिलना संभव नहीं है। इस ईह लोक में जो
मनुष्य साधना कर यांत्रिक लोक को प्राप्त कर लिया, उनका ही जीवन सार्थक
माना जाएगा। या नहीं तो उनका जीवन बिना साधना का निरर्थक समझा जाता है।
यह विषम परिस्थितियों का अंतिम निदान है। उक्त बातें आचार्य जगदीश महाराज
ने प्रखंड के टारी बाजार स्थित श्रीराम जानकी विद्यालय स्थित धर्मशाला के
प्रांगण में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांति कुंज हरिद्वार के तत्वाधान
में चल रहे चार दिवसीय 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दौरान शुक्रवार को
कही। आचार्य ने कहा कि चेतन से हीं परिवर्तन होता है, लेकिन माह प्रलय
में इसका अत्यंत अभाव होता है। यह विभिन्नता सिर्फ परमात्मा में ही होती
है। जो मनुष्य परमात्मा से साक्षात्कार होना चाहते हैं तो उन्हें सतसंग
में आना ही पड़ेगा। क्योंकि सतसंग के बिना परमात्मा को जानना संभव नहीं
होता है। उन्होंने शिव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिव ने विश्व को बचाने
के लिए स्वयं विष को धारण कर लिया, ताकि विष का प्रभाव समाज में नहीं
पड़े। आज वर्तमान समय में मनुष्य विष धारण कर अपने आपको काल के मुंह ले जा
रहा हैं। इस कारण हमारी संस्कृति भी अपने पथ से भटक गई है। आचार्य जगदीश
ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का दायित्व बनता है। इसे बचने
के लिए हर मानव जाति को आगे आना चाहिए। उमेश, सत्यनारायण, अनिल ने
संयुक्त रूप से संगीतमय प्रवचन प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया।
मौके पर पूर्व प्रखंड प्रमुख जगनारायण सिंह, योगेंद्र भगत, मनोज भगत,
हरिशंकर प्रसाद, दिनेश शर्मा, रजनीश कुमार, डॉ. उमाकांत प्रसाद भगत, राघव
प्रसाद, नारायण भगत, मोतीलाल भगत, राघव प्रसाद, चंद्रशेखर प्रसाद, राजेश
कुमार सहित काफी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे। वहीं महायज्ञ के दूसरे
दिन शनिवार को हवन कुंड के पास
काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने हवन पूजा में भाग लिया। इस दौरान सामूहिक
जप, प्रज्ञायोग व्यायाम, देव पूजन कराया गया। इस मौके पर काफी संख्या में
श्रद्धालु उपस्थित थे। अंत में श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण
किया गया।
सत्य का संगत करना हीं सतसंग है : आचार्य जगदीश
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