नव दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा

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परवेज अख्तर/सिवान : वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन शनिवार को आदि शक्ति दुर्गा देवी के चौथे स्वरूप की पूजा हुई। इस दौरान घरों में मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की गई। भक्तों ने मां की आरती उतारी और प्रसाद चढ़ाया। तमाम भक्तों ने उपासना कर मन्नतें भी मांगी। पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। आचार्य उमाशंकर पांडेय ने बताया कि पांचवें दिन रविवार को दुर्गादेवी के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। बताया कि संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करने के लिए दंपतियों को इस दिन सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की आराधना करनी चाहिए, इससे उनकी मुराद पूरी होती है। भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार की माता होने के कारण दुर्गा के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है। देवी के इस स्वरूप में भगवान स्कंद बालरूप में माता की गोद में विराजमान हैं। माता के इस स्वरूप की 4 भुजाएं हैं। शुभ्र वर्ण वाली मां कमल के पुष्प पर विराजित हैं।

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इस मंत्र से करें जाप

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया,शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी। या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

माता को भोग में भेंट करें केला

स्कंदमाता को भोग स्वरूप केला अर्पित करना चाहिए। मां को पीली वस्तुएं प्रिय होती हैं, इसलिए केसर डालकर खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं। नवरात्र के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री लाल फूल और अक्षत के समेत मां को अर्पित करने से महिलाओं को सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है।