- अपने 8 माह के बच्चे को साथ लेकर ड्यूटी कर रही है एएनएम
- कोरोना की इस लड़ाई में पति भी दे रहें साथ
- ‘नर्स: स्वास्थ्य के लिए विश्व का नेतृत्व करने की एक आवाज’ इस वर्ष की थीम
छपरा:- कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक , नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं. इन दिनों जब कोरोना वायरस का संकट पूरे देश में फैला हुआ है तो एएनएम एवं नर्स लोगों की सेवा में दिन-रात जुटी हैं. एक तरफ वह अपने बच्चों की देख रेख तो कर ही रहीं हैं लेकिन उनके कन्धों पर जो जिम्मेदारी देश और समाज के प्रति है, उसे भी वह बखूबी निभा रही हैं। ऐसी परिस्थिति में प्रत्येक वर्ष 12 मई को मनाये जाने वाले विश्व नर्स दिवस उन सभी नर्सों को समर्पित है, जो निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज की सेवा में समर्पित हैं. इस साल विश्व नर्स दिवस की थीम ‘‘‘नर्स: स्वास्थ्य के लिए विश्व का नेतृत्व करने की एक आवाज’’ रखी गयी है. आधुनिक नर्सिंग की जनक फ्लोरेंस नाईटेंगल की याद में विश्व भर में इस दिवस को प्रत्येक साल मनाया जाता है।
जिले की मांझी प्रखंड के ताजपुर एचएससी में कार्यरत खुशबू कुमारी विश्व नर्स दिवस को अपने कर्तव्यों से सार्थक कर रही है. वह कोरोना संक्रमण काल में एक ज़िम्मेदार स्वास्थ्य कर्मी के साथ एक माँ का भी फर्ज निभा रही है। वह अपने 8 माह के बच्ची को अपने साथ रखकर अपने कर्तव्यों का भी पूरी जिम्मेदारी से निर्वहन कर रही है।
कोरोना संक्रमण प्रभावित क्षेत्र में किया सर्वे
एएनएम खुशबू बताती हैं उनकी बच्ची अभी मात्र 8 माह की और जिससे उन्हें अपने बच्चे को नियमित अंतराल पर स्तनपान कराना होता है. ऐसे में उसे दूर भी नहीं किया जा सकता. इसलिए वह अपनी बच्ची को साथ में रखकर भी इस कोरोनाकाल में अपनी कर्तव्यों का निर्वहन कर रही है. खुशबू देवी कहती है, मांझी प्रखंड के सरयूपार गांव में एक कोरोना संक्रमित पॉजिटिव मरीज मिला था । जहां पर उनकी ड्यूटी लगाई गई थी, उस गांव का उन्होंने डोर टू डोर सर्वे का कार्य किया। इस दौरान उनकी बच्ची भी उनके ही साथ थी। खुशबू ने बताया सर्वे के दौरान उनके मन में यह डर सता रहा था कि कहीं उनकी बच्ची को संक्रमण ना हो जाए। क्योंकि इस गांव में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिल चुका था इसलिए उनके मन में यह डर था। लेकिन फिर भी वह मजबूत हौसलों के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती रही और डोर टू डोर सर्वे कार्य को पूरा किया।
कोरोना के इस लड़ाई में पति ने दिया साथ
एएनएम खुशबू कुमारी बताती हैं कि उनकी बच्ची अभी बहुत छोटी है। इसलिए फील्ड ड्यूटी में जाते समय बच्ची को घर पर छोड़ कर नहीं जा सकती थी बच्ची भी उनके साथ ही रहती है। इस दौरान उनके कार्यो में कोई बाधा ना हो इसके लिए उनके पति भी उनका साथ देते है। वह बच्ची को संभालने के लिए फिल्में भी जाते हैं। खुशबू के इस कार्य को हर किसी ने सराहना की है।
दो माह से नहीं गयी घर
एएनएम खुशबू का घर पटना में है और वह सारण जिले के मांझी प्रखंड के ताजपुर एचएससी में पदस्थापित है। कोरोना संक्रमण के इस जंग में लड़ाई लड़ रही है। खुशबू करीब 2 महीनों से अपने घर नहीं गई हैं । जब घर की याद आती है तो व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल करके बात कर लेती हैं।
अब कर रही है टीकाकरण व प्रसव का कार्य
कोरोना संक्रमण को लेकर चल रहे डोर टू डोर सर्वे का अभियान अब पूरा हो चुका है। उसके बाद एएनएम खुशबू का ड्यूटी नियमित टीकाकरण कार्य व ताजपुर एचएससी में प्रसव कक्ष में लगाई गई है। जहां पर वह अपनी सेवा दे रही हैं। यहां भी उनकी बच्ची साथ में रहती है। टीकाकरण सत्र पर आने वाले लाभार्थियों व उनके परिजनों को कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में जागरूक करती हैं । साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण अभियान परिवार नियोजन को भी धरातल पर उतारने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।