- गांव-गांव जाकर आशा सेविका व जनप्रतिनिधियों को किया जा रहा मोबलाइज
- मंदिर मस्जिद के माध्यम से भी किया जा रहा जागरूक
- जिले के 20 प्रखंडों में चल रहा कालाजार से बचाव के लिए अभियान
छपरा :-जिले के सभी प्रखंडों में कालाजार से बचाव को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। कालाजार से बचाव के लिए घर-घर जाकर सिंथेटिक पैराथाईराइड का छिड़काव किया जा रहा है। इसको लेकर पीसीआई के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। गांव-गांव जाकर आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, मुखिया, वार्ड सदस्य व जनप्रतिनिधियों के साथ सामुदायिक मीटिंग कर जागरूक किया जा रहा है। ताकि दवा छिड़काव में किसी तरह का बाधा न हो। पीसीआई के जिला समन्वयक मानव कुमार ने बताया जिले के 20 प्रखंडों में कालाजार से बचाव को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के सफल क्रायान्वयन के लिए आशा कार्यकर्ताओं के साथ मुखिया व जनप्रतिनिधियों का सहयोग लिया जा रहा है। ताकि छिड़काव से पहले आशा कार्यकर्ता मुखिया या जनप्रतिनिधि लोगों घर-घर जाकर जानकारी देंगे कि इस दिन को आपके घर छिड़काव होगा। इससे लोगों को पहले से जानकारी रहेगी। लोग अपना सामान हटाकर रखेंगे ताकि दवा छिड़काव में किसी तरह की समस्या न हो। इसके लिए गांव-गांव में जाकर पीसीआई के जिला समन्वयक मानव कुमार सामुदायिक बैठक कर रहें हैं।
मंदिर-मस्जिद के लाडस्पीकर से एनाउंसमेंट
पीसीआई के जिला समन्वयक मानव कुमार ने बताया गांव में स्थित मंदिर मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर के माध्यम से कालाजार से छिड़काव की जानकारी लोगों को दी जा रही है।इससे कम समय में अधिक लोगों तक सूचना का प्रसार किया जा रहा है। साथ हीं मुखिया के द्वारा भी लोगों को घर जाकर इसकी जानकारी दी जा रही है। लाउडस्पीकर के माध्यम से जानकारी दी गयी है कि घर की दीवारों में पड़ी दरारों को भर दें व अच्छी तरह से घर की सफाई करें। खाने-पीने का सामान, बर्तन, दीवारों पर टंगे कैलेंडर आदि को बाहर निकाल दें। भारी सामानों को कमरे के मध्य भाग में एकत्रित करें और उसे ढक दें।
कालाजार की ऐसे करें पहचान
कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार हफ्ते से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है. यदि इलाज में देरी होता है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है. बाल व त्वचा के परत भी सूख का झड़ते हैं। कालाजार के लक्षणों के दिखने पर रोगी को तुरंत किसी नजदीकी अस्पताला या पीएचसी भेजा जाना चाहिए।