कोरोना संकट के बीच करीब 75 दिनों बाद प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की हुई शुरूआत

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  • सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों को सजाया गया
  • गर्भवती महिलाओं की हुई प्रसवपूर्व जांच
  • पौष्टिक आहार लेने तथा विशेष देखभाल की दी गयी सलाह
  • बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं के लिए ज

छपरा: वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच करीब 75 दिनों के बाद गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरूआत फिर से कर दी गयी। इस अभियान के तहत जिले के गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच किया गया। अभियान की शुरूआत को लेकर सदर अस्पताल समेत सभी प्राथमिक, सामुदायिक तथा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को काफी आर्कषक रूप से सजाया गया था।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के नोडल पदाधिकारी सह जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम समन्वयक रमेशचंद्र प्रसाद ने कई स्वास्थ्य केंद्रों पर चल रहे इस कार्यक्रम का जायजा लिया तथा संबंधित पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मंगलवार को सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में शिविर लगाकर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी। साथ ही उच्च जोख़िम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया। इसमें उच्च रक्तचाप, वजन, शारीरिक जाँच, मधुमेह, एचआईवी एवं यूरिन के साथ जटिलता के आधार पर अन्य जाँच की गयी। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं को भी चिन्हित किया गया एवं बेहतर प्रबंधन के लिए दवा के साथ जरुरी परामर्श दिया गया।

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एनीमिक महिलाओं को दी गयी ये सलाह

पीएमएसएमए के नोडल पदाधिकारी रमेशचंद्र कुमार ने बताया प्रसव पूर्व जाँच में एनीमिक महिला को आयरन फोलिक एसिड की दवा देकर इसका नियमित सेवन करने की सलाह दी गयी। एनीमिक महिलाओं को हरी साग- सब्जी, दूध, सोयाबीन, फ़ल, भूना हुआ चना एवं गुड खाने की सलाह दी गयी। साथ ही उन्हें गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की भी सलाह दी गयी।

बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी

सिविल सर्जन डॉ. माधेश्वर झा ने बताया प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जाँच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।

गर्भावस्था में ये पांच टेस्ट कराना जरूरी

  • ब्लड टेस्ट
  • यूरिन टेस्ट
  • ब्लड प्रेशर
  • हीमोग्लोबीन
  • अल्ट्रासाउंड

    उच्च जोख़िम गर्भधारण के कारण

गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जाँच प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी लाता है। सम्पूर्ण प्रसव पूर्व जाँच के आभाव में उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती। इससे प्रसव के दौरान जटिलता की संभावना बढ़ जाती है।

  • गर्भावस्था में 7 ग्राम से खून का कम होना
  • गर्भावस्था में मधुमेह का होना
  • एचआईवी पॉजिटिव होना(एडस पीड़ित)
  • अत्यधिक वजन का कम या अधिक होना
  • पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना
  • उच्च रक्तचाप की शिकायत होना
  • उच्च जोख़िम गर्भधारण के लक्षण
  • पूर्व की गर्भावस्थाओं या प्रसव का इतिहास
  • दो या उससे अधिक बार गर्भपात हुआ हो
  • बच्चा पेट में मर गया हो या मृत पैदा हुआ हो
  • कोई विकृत वाला बच्चा पैदा हुआ हो
  • प्रसव के दौरान या बाद में अधिक रक्त स्त्राव हुआ हो
  • गर्भवती होने से पहले कोई बीमारी हो
  • उच्च रक्तचाप
  • दिल या गुर्दे की बीमारी
  • टीबी या मिरगी का होना
  • पीलिया या लिवर की बीमारी
  • हाइपोथायराइड से ग्रसित होना