- जिले में 26.2 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं
- अनचाहे गर्भ से मुक्ति के लिए करें गर्भनिरोधक साधनों का प्रयोग
- ‘‘कोरोना महामारी के दौर में महिलाओं और बालिकाओं की सेहत और अधिकारों की सुरक्षा’’ होगी इस वर्ष की थीम
- 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन
छपरा: विश्व भर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व जनसंख्या दिवस की थीम ” कोरोना महामारी के दौर में महिलाओं और बालिकाओं की सेहत और अधिकारों की सुरक्षा’’ होगी। देश कोरोना संक्रमण के बीच में हैं, लेकिन प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान न सिर्फ़ अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए बल्कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य कल्याण में भी महत्व रखता है। इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर इस प्रतिकूल परिदृश्य में पूरे माह जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा को प्रखंड स्तर तक जारी रखने को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र के माध्यम से निर्देशित किया था।
जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में परामर्श के साथ मिलेगी परिवार नियोजन की सुविधा
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन 11 जुलाई से 31 जुलाई तक किया जाना है। इस वर्ष के जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े की थीम “आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी” रखी गयी है. इस दौरान गर्भनिरोधक के बास्केट ऑफ चॉइस पर इच्छुक दंपतियों को परामर्श दिया जाएगा। इसके लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श पंजीयन केंद्र स्थापित करते हुए परिवार कल्याण परामर्शी, दक्ष स्टाफ नर्स/ एएनएम द्वारा परामर्श दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा ओपीडी, एएनसी सेवा केंद्र, प्रसव कक्ष एवं टीकाकरण केंद्र पर भी कॉन्ट्रासेप्टिव डिस्प्ले ट्रे एवं प्रचार प्रसार सामग्रियों के माध्यम से परामर्श करते हुए इच्छुक लाभार्थी को परिवार नियोजन सेवा प्राप्त करने में सहयोग की जायेगी है। परामर्श पंजीयन केंद्र पूरे पखवाड़े के दौरान एवं आगे भी अस्थाई रूप से कार्य करेगा। इस दौरान मांग एवं खपत के अनुसार सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक मात्रा में गर्भनिरोधक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
अनमेट नीड समस्या
बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य एवं जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर सामुदायिक सहभागिता भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है। दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इससे ही ‘अनमेट नीड’ में वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का आभाव प्रदर्शित होता है।
क्या है जिले की स्थिति
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार जिले में कुल 26.2 प्रतिशत अनमेट नीड है। आशय यह है कि जिले में 26.2 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं, लेकिन किसी कारणवश वह परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। जबकि जिले में 10.5 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं जो बच्चों में अंतराल रखने के लिए इच्छुक है लेकिन फिर भी किसी परिवार नियोजन साधन का प्रयोग नहीं कर रही हैं।
ये हैं अनमेट नीड के कारण
- परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों की उदासीनता
- सटीक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं होना
- परिवार के सदस्यों या अन्य नजदीकी लोगों द्वारा गर्भनिरोधक का विरोध
- साधनों के साइड इफैक्ट को लेकर भ्रांतियाँ
- परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक एवं पारिवारिक प्रथाएँ
- मांग के अनुरूप साधनों की आपूर्ति में कमी
इसलिए गर्भनिरोधक है जरुरी
- मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी
- प्रजनन संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से बचाव
- अनचाहे गर्भ से मुक्ति
- एचआईवी-एड्स संक्रमण से बचाव
- किशोरावस्था गर्भधारण में कमी
- जनसंख्या स्थिरीकरण में सहायक