परवेज अख्तर/मैरवा/सिवान :- रमजान के महीना की बड़ी फजीलत है। इस महीने मे तीन अशरह हैं। एक अशरह दस दिनों का होता है। पहले अशरह अल्लाह की रहमत का अशरह है। इसका विशेष महत्व है। इस विशेष फजीलतों वाले अशरह में अल्लाह तआला की रहमतें बरसती हैं। इसमें बंदों पर अल्लाह की विशेष कृपा होती है। हाफीज नूरुज्जमा ने रमजान की फजीलतें कुरआन शरीफ और हदीश की रोशनी में बयान करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इसकी फजीलते जितना भी बयान की जाए कम है।
बख्शे जाते हैं गुनहगार
रमजान के महीने में कुरआन नाजिल हुआ। इस पवित्र ग्रंथ ने सच्चाई का मार्ग दिखाया। एक ईश्वर की इबादत करने की बात बताई। इस महीने में गुनाहगारों को अल्लाह तआला बख्श देते हैं। पुनीत कार्यों के लिए ईश्वरीय ईनाम बढ़ा दिया जाता है। हर नेक काम का सबाब सत्तर गुना बढ़ा दिया जाता है। नफील का सबाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सबाब दस गुना हो जाता है।
रमजान मुबारक महीना
अल्लाह का बहुत बड़ा रहमो करम है कि हमें रमजान का मुबारक महीना नसीब किया। हदीश में है कि रमजान की पूरी फजीलते मालूम हो जाए तो रोजेदार पूरे साल रमजान के रोजे होने की ख्वाहिश करने लगेंगे, जिसे रमजान का रोजा नसीब हुआ और उसने पाकीजगी के साथ अल्लाह के हुक्म के मुताबिक पूरे रोजे रखे वे बड़े ही खुशनसीब हैं। अल्लाह पाक ने इस महीने को तमाम महीनों से अफज़ल बनाया।
क्या है रमजान का रोजा
प्रभात काल के आरंभ से लेकर सूर्यास्त तक अल्लाह के हुक्म के मुताबिक फर्ज रोजा रखने के इरादे (नीयत) के साथ कुछ भी खाने-पीने से अपने को रोक रखना और नफ्स पर काबू रखना ही रोजा है। इसमें दिन भर रोजेदार कुछ भी नहीं खाते हैं और पानी भी नहीं पीते। इफ्तार सामने रखकर निर्धारित समय की प्रतीरक्षा करते हैं। अल्लाह के हुक्म की तामील करते हैं। नफ्स को काबू में रखने की ताकत बढ़ जाती है।
जन्नत हासिल करने का महीना है रमजान
इस महीना में ज्यादा से जयादा इबादत की जाती है। तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है। नबी ए करीम ने फरमाया है कि यह महीना सब्र का है और सब्र का सबाब जन्नत है।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]