विश्व स्तनपान सप्ताह: जन्म के 1 घंटे के भीतर शिशुओं को स्तनपान जरूरी

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  • 20 प्रतिशत नवजात मृत्यु दर में लायी जा सकती है कमी
  • संक्रामक बीमारियों से शिशु को सुरक्षित रखता है स्तनपान
  • आशा लोगों को दे रही स्तनपान के फायदों की जानकारी
  • स्तनपान से तेजी से होता है शारीरिक मानसिक विकास

छपरा: कोरोना आपदा के बीच नवजात शिशुओं के पोषण के प्रति जागरूता लाने के उद्देश्य से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है. स्तनपान का मुख्य उद्देश्य नवजात एवं शिशुओं में बेहतर पोषण को सुनिश्चित कराना है. साथ ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर उन्हें संक्रामक रोगों के प्रति सुरक्षित करना है. ​स्तनपान सप्ताह के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं सहित अस्पतालों के स्टाफ नर्स, एएनएम, आरएमएनसीएच प्लस ए काउंसलर, ममता, चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी को प्रसूताओं व धात्री महिलाओं को नियमित स्तनपान के फायदों के बारे में बताने के लिए कहा है.

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स्तनपान नवजात मृत्यु दर कम करने में मददगार

बाल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विजय प्रकाश राय ने बताया विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है. उन्होंने बताया जन्म के 1 घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20% तक की कमी लायी जा सकती है. वहीं 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक मृत्यु की संभावना कम होती है. 6 माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देने के साथ कम से कम 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए. संपूरक आहार से बच्चों का शारीरिक मानसिक विकास संतुलित होता है और कुपोषण से सुरक्षित रखा जाता है. कोरोना महामारी के दौरान भी माता अपने बच्चों को नियमित स्तनपान कराती रहें.

आशा दे रही स्तनपान के फायदों की जानकारी

मांझी के आशा फैसलीटेटर पिंकी देवी ने बताया स्तनपान सप्ताह के दौरान घर घर जाकर नवजात शिशु के परिजनों को नियमित और अधिकाधिक स्तनपान के फायदों के बारे में जानकारी दी जा रही है. साथ ही 6 माह की उम्र के बाद बच्चों के अनुपूरक आहार देने के लिए जागरूक किया गया है. उन्होंने बताया धात्री लोगों को यह बताया जा रहा है कि स्तनपान कराने से शिशु का समग्र शारीरिक ​और मानसिक विकास होता है. साथ ही बच्चों का आइक्यू लेवल यानी उसके सोचने समझने की स्तर उंचा रहता है. नवजात को मां का पहला गाढ़ा व पीला दूध अवश्य पिलायें. यह एंटीबॉडीज व प्रोटीन से भरपूर होता है और बीमारियों से रक्षा करता है. समुचित स्तनपान करने वाले बच्चों में मोटापा, उच्च रक्त चाप एवं डायबिटीज होने की संभावना कम होती है. यह मां के स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है.

स्तनपान से जुड़ी जरूरी बातों का रखें ध्यान

  • शिशु जन्म के 1 घन्टे के भीतर स्तनपान कराना जरुरी है. माँ का दूध शिशु को संक्रामक बीमारियों से बचाता है.
  • माँ के दूध में मौजूद एंटीबॉडी बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं
  • स्वास्थ्य संस्था में या किसी स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा दूध की बोतलें, निप्पल या डमीज को बढ़ावा न दें

माँ में बुखार, खाँसी या सांस लेने में हो तकलीफ़ हो तो ये करें

  • तुरंत चिकित्सक से सलाह लें
  • बच्चे के संपर्क में आने पर मास्क पहनें. खांसते या छींकते समय मुँह को रुमाल या टिश्यू पेपर से ढकें
  • छींकने या खांसने के बाद, दूध पिलाने से पहले एवं बाद हाथों को पानी एवं साबुन से 40 सेकंड तक धोएं
  • किसी भी तरह के सतह को छूने के बाद हाथों को पानी एवं साबुन से 40 सेकंड तक धोएं या अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें

स्तनपान नहीं करा सकती हैं तो ये उपाय अपनायें

  • अपना दूध कटोरे में निकाल लें. इसके लिए मां अपने हाथों को 40 सेकेंड तक साबुन से धोंये या अल्कोहल आधारित सेनेटाइजर से हाथों को सेनेटाइज करें. जिस कटोरी में दूध निकालें उसे अच्छी तरह गर्म पानी एवं साबुन से धो लें.
  • अपना निकला हुआ दूध पिलाने से पहले भी मास्क का इस्तेमाल करें. साथ ही चम्मच को भी अच्छी तरह साफ़ कर लें

यदि माँ कोविड 19 से संक्रमित है या उसकी संभावना है

  • कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बच्चे को 1 जन्म के पहले घंटे एवं 6 माह तक केवल माँ का ही दूध पिलायें
  • शिशु की देखरेख एवं स्किन टू स्किन संपर्क के लिए घर की किसी स्वस्थ महिला का सहयोग लिया जा सकता है

बच्चों को खाना खिलाने से पहले हाथ जरूर धोंये

शिशु के 6 महीने पूरे होने के बाद उसे स्तनपान के साथ संपूरक आहार देना चाहिए. शिशु को 2 साल तक स्तनपान जारी रखा जाना जरूरी है. बच्चे को अलग से कटोरी में संपूरक आहार खिलाना चाहिए. खाना बनाने, खिलाने या स्तनपान कराने से पहले 40 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना जरुरी है. 6 महीने के बच्चे को 2-3 चम्मच खाना दिन में 2 से 3 बार, 6 से 9 महीने के बच्चे को आधा कटोरी खाना दिन में 2 से 3 बार, 9 से 12 महीने के बच्चे को आधा कटोरी खाना दिन में 2 से 3 बार और 1 से 2 साल तक के बच्चे को 1 कटोरी खाना दिन में 3 से 4 बार दिया जाना चाहिए.