- डीडीसी की अध्यक्षता में हुई जिला अभिसरण समिति की बैठक
- स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस सहित कई विभागों के साथ हुई बैठक
- जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं में प्रतिवर्ष 2% की कमी लाना
- पोषण की कमी को सुधार लाना है अभियान का उद्देश्य
सिवान: समाहरणालय सभागार में उपविकास आयुक्त सुनिल कुमार की अध्यक्षता में पोषण अभियान के अंतर्गत जिला अभिसरण समिति की बैठक आयोजित की गयी। बैठक में पोषण अभियान के क्रियान्वयन को लेकर जिले में संचालित विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का अनुश्रवण एवं समीक्षा की गई।बैठक में डीडीसी ने कहा कि पोषण अभियान के तहत विभिन्न विभागों के समन्वय से निर्धारित सीमा के अंदर बच्चों में अल्पवजन, बौनापन एवं दुबलापन के दर में कमी लायी जानी है। योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए विभिन्न विभागों- महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, पंचायती राज इत्यादि विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए बच्चों के कुपोषण दर में प्रतिवर्ष 2% एवं किशोरी व महिलाओं के एनीमिया दर में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने की दिशा में संयुक्त प्रयास किये जाएंगे। डीडीसी ने निर्देश दिया कि पोषण अभियान के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य को ससमय हासिल करें। इसके लिए अंर्तविभागीय समन्वय स्थापित कर कार्य करने की आवश्यकता है। इस दौरान राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक पंकज कुमार गुप्ता के द्वारा पीपीटी के माध्यम से प्राप्त लक्ष्य और माइक्रोप्लान के बारे में बताया गया। इस बैठक में आईसीडीएस के डीपीओ प्रतिभा गिरी, स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन, राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक पंकज कुमार, सभी सीडीपीओ, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, जीविका के पदाधिकारी, वन स्टेप के परियोजना प्रबंधक समेत अन्य पदाधिकारी शामिल थे।
जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं में प्रतिवर्ष 2% की कमी लाना
डीडीसी सुनिल कुमार ने कहा कि इस अभियान के अंतर्गत जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं में प्रतिवर्ष कम से कम 2% की कमी लानी है। इसका मुख्य उद्देश्य 0 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों में ठिगनेपन के राष्ट्रीय स्तर 34.6% को कम कर 25% करना है। यानी इसका मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों महिलाओं और किशोरियों के कुपोषण को कम करना है। साथ ही एनीमिया और गंभीर कुपोषण को रोकने के लिए लोगों को स्तनपान, मातृ पोषण और किशोर पोषण के संबंध में जागरूक करना है।
कुपोषण में कमी लाना है अभियान का उद्देश्य
राष्ट्रीय पोषण अभियान बड़े पैमाने पर चलने वाला अभियान है जो कि बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण की कमी में सुधार लाना है। पोषण अभियान देश में मार्च 2018 से लागू किया गया है। इसके तहत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 3 वर्ष की समय अवधि निर्धारित की गई है।
बच्चों में विकास की कमी, कुपोषण, एनीमिया पर विशेष ध्यान
आईसीडीएस के डीपीओ प्रतिभा गिरी ने बताया पोषण अभियान कार्यक्रम के तहत बच्चों में विकास की कमी कुपोषण एनीमिया ना हो उसका विशेष ध्यान रखना है। इस अभियान को जन आंदोलन के स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। पोषण अभियान के तहत लोगों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित कर सामुदायिक पोषण में सुधार लाना है।
क्या है उद्देश्य
- इस योजना के तहत 0 से 6 वर्ष के बच्चों में ठीक ने फोन को कम करना
- 0 से 6 वर्ष के बच्चों में कुपोषण के कारण वजन की कमी की समस्या में कमी लाना
- 5 से 59 महीनों वालों छोटे बच्चों में रक्ताल्पता की कमी की समस्या में कमी लाना
- इस योजना के तहत 15 से 49 आयु वर्ग की किशोरियों एवं महिलाओं में एनीमिया की समस्या में कमी लाना
- नवजात शिशु के जन्म के समय वजन में कमी की समस्या में कमी लाना