परवेज अख्तर/ सिवान:- कपड़े पर लिखे स्वरचित संपूर्ण बालपोथी तथा उपेक्षित व फेंकी हुई वस्तुओं से निर्मित ब्लू ह्वेल के नवजात शिशु की प्रतिकृति का प्रदर्शन कर बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देने वाले अवकाश प्राप्त शिक्षक ललन मांझी ने कई सम्मान अर्जित किए हैं। इनके सभी गीत हिदी, उर्दू, समाज आदि विषय पर आधारित हैं। उनके राग को केवल बच्चे ही नहीं पसंद करते, बल्कि कई तत्कालीन जिलाधिकारी भी प्रभावित हो चुके हैं। इनसे प्रभावित होकर चार जिलाधिकारियों व उप राष्ट्रपति समेत भारत सरकार के मानव विकास मंत्री ने उत्कृत शिक्षण कार्य के लिए प्रमाणपत्र दिया था। साथ ही नकद राशि देकर सम्मानित किया था।
गौर करने वाली बात है कि शिक्षक ललन मांझी हुसैनगंज प्रखंड के जुड़कन मध्य विद्यालय में 25 वर्षों तक सेवा देने के बाद 2015 में सेवानिवृत हुए। उन्हें सेवा काल के दौरान जिले के डीएम अमृत मीणा ने 1995 और डीएम रसीद अहमद खां ने 2001 में मेधा सम्मान से नवाजा था। 2003 में महानायक चंद्रशेखर अमृत महोत्सव में उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत ने महाराजगंज में सम्मानित किया। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. संजय पासवान ने दिल्ली में सम्मान दिया था।
उन्होंने 2004 में डीएम आरके महाजन मेधा सम्मान व 2005 में डीएम सीके अनिल के साथ साईकिल रैली में करीब 22 किमी यात्रा की। 2010 में बिहार दिवस पर 22 मार्च को डीएम बाला मरूगन डी व बिहार सरकार के मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा ने उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया था। साथ ही डीएम ने 2009 में शिक्षण सामग्री के साथ जिले के सभी सीआरसी व बीआरसी पर आदर्श पाठ देकर सभी शिक्षकों को बताने का आदेश जारी किया था, जो चार वर्षों तक प्रशिक्षण दिया। 2012 में डीईओ राधाकृष्ण यादव राष्ट्रपति के लिए चयनित किया था।
दूरदर्शन पर फिल्म चलने के बाद निदेशक पुरस्कार
ललन मांझी पर गुरु कुम्हार, शिष्य कुंभ 2002 में एसआइईटी के निदेशक एनएन पांडेय की निर्मित भोजपुरी फिल्म को दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। फिल्म में पढ़ाने की शैली देखकर काफी लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हुए। इससे निदेशक ने शिक्षक को प्रोत्साहन राशि के रूप में 500 रुपये का चेक दिया था।
क्या कहते हैं शिक्षक
छोटे बच्चों को टीएलएम के साथ कोई भी पाठ पढ़ाएंगे तो उनके दिमाग में उसी समय सेट कर जाएगा। साथ ही गीत के माध्यम से पढ़ाते हैं तो उनकी रुचि पढ़ने में और बढ़ेगी। बच्चे जल्द ही याद कर लेंगे। ऐसा सभी शिक्षकों को करना चाहिए।
ललन मांझी, अवकाश प्राप्त शिक्षक