- सीफार के सहयोग से जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा वेबिनार आयोजित
- सीएस बोले- अभियान के दौरान हर हाल कोविड-19 से बचाव के लिए प्रोटोकॉल का पालन आवश्यक
- 16 से 29 सिंतबर तक एक साथ चलेंगे तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रम
- कंटेंनमेंट जोन वाले क्षेत्रों में नहीं चलेगा कार्यक्रम
छपरा: 16 से 29 सिंतबर तक चलने वाले राष्ट्रीय कृमिमुक्ति कार्यक्रम, सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा एवं विटामीन-ए खुराक कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए ऑनलाईन मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च और जिला स्वास्थ्य समिति के संयुक्त तात्वाधान में वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता सारण के सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने की। बेविनार को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर ने तीनों कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि कार्यक्रम के दौरान कोरोना से बचाव के लिए जारी किये गये निर्देशों का पालन हर हाल में करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा आशा, एएनएम व सेविका को क्षेत्र भ्रमण के दौरान मास्क, गल्बस और सेनिटाईजर प्रयोग करना होगा। इसके साथ उन्होने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कोरोना से बचाव के बारे में जानकारी दी। सिविल सर्जन ने कहा कि कोरोना काल में एक साथ तीन कार्यक्रमों का संचालन करना चुनौती पूर्ण है। लेकिन फिर भी जिला इसे बखूबी करने के लिए तैयार है। इसको लेकर सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है। उन्होने कहा कि कंटेंनमेंट जोन वाले एरिया कार्यक्रम नहीं चलाया जायेगा। वेबिनार में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, यूनिसेफ के एसएमसी आरती त्रिपाठी, सीफार के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक रणविजय कुमार, डक्यूमेंटेशन ऑफिसर सरिता मलिक शामिल थी।
वेबिनार का संचालन सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गणपत आर्यन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने किया।
16 से 29 सितंबर तक संयुक्त रूप से चलेगा कार्यक्रम
वेबिनार को संबोधित करते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अयज कुमार शर्मा ने कहा कि 16 से 29 सिंतबर तक तीन महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलेंगे, जिसमें सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, विटामिन-ए खुराक और राष्ट्रीय कृमिमुक्ति कार्यक्रम शामिल है। इसको लेकर माइक्रोप्लान तैयार कर लिया गया है। उन्होने कहा कि दस्त से होने वाले मृत्यु दर को कम करने के लिए डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा चलेगा। डायरिया से 0 से 5 वर्ष तक बच्चों में 10 गुणा मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग की समझ द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। इसको लेकर आशा घर जाकर बच्चों को जिंक और ओआरएस का पैकेट का वितरण करेंगी। सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर जिंक-ओआरएस कॉर्नर की स्थापना की जायेगी। दस्त से पीड़ित बच्चों को पहचान कर बेहतर उपचार की सुविधा मुहैया करायी जायेगी।
1 से 19 साल तक बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अयज कुमार शर्मा ने बताया कि कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 1 साल से 19 साल तक के बच्चों को एलबेंडाजोल की दवा दी जाएगी. साथ ही गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 9 माह से 5 वर्ष तक के उम्र के बच्चों को विटामिन ए सिरप की खुराक पिलाना भी सुनिश्चित करेगी। इसके लिए आशा पहले विटामिन ए सिरप के साथ उपलब्ध चम्मच में खुराक डालने के बाद उक्त लाभार्थी के चम्मच में खुराक डालकर संबंधित परिवार के द्वारा ही चम्मच से बच्चों को अनुपूरण सुनिश्चित कराएगी। ऐसे बच्चें जिन्हे सांस लेने में समस्या एवं सर्दी-खांसी या कोरोना संक्रमित के संपर्क में आये हो उन्हें एल्बेंडाजोल की दवा नहीं दी जायेगी। इसके साथ ही पहले व अंतिम तिमाही वाली गर्भवती महिला को भी यह दवा नहीं दी जायेगी। सिर्फ दूसरे तिमाही वाली गर्भवती महिला को एल्बेंडाजोल की दवा दी जायेगी। एल्बेंडाजोल की दवा का हल्का साइड इफैक्ट पड़ता है। जैसे दवा सेवन करने बाद जी मिचलना, पेट दर्द या उल्टी हो सकता है।
9 से पांच वर्ष तक बच्चों को विटामिन-ए की खुराक
यूनिसेफ के जिला समन्वयक आरती त्रिपाठी ने बताया कि जिले में 9 से पांच वर्ष तक बच्चों को विटामिन-ए की छमाही खुराक दी जायेगी। 9 से 12 माह तक बच्चों को 1 एमएल और 12 माह से 5 वर्ष तक बच्चों को डेढ़ एमएल विटामिन-ए सिरप पिलाया जायेगा। इसके लिए आशा घर -घर जाकर बच्चों को दवा पिलायेंगी। अभिभावक को खुद का चम्मच प्रयोग करना होगा। सारण में 5 लाख 17 हजार 995 बच्चों को दवा दी जायेगी। कंटेंनमेंट जोन में यह अभियान नहीं चलेगा। शहरी क्षेत्र के लिए 18 वोलेंटियर्स और 2 दो सुपरवाइजर लगाये गये हैं।
समुदायिक व गांव स्तर पर होगी गतिविधि
जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आशा कार्यकर्ता द्वारा भ्रमण के लिए माइक्रोप्लान तैयार किया गया है। जिसमें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनायी गयी है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जायेगा। कोविड-19 महामारी को देखते हुए आशा द्वारा नान- कंटेनमेंट जोन के घरों में ओआरएस का वितरण किया जायेगा। कंटेंनमेंट जोन में गतिविधियों का आयोजन नहीं होगा। डीसीएम ने बताया कि पखवाड़ा के दौरान कुछ विशेष क्षेत्रों में अभियान पर अधिक बल दिया जायेगा। जैसे- उपकेंद्र जहां पर एएनएम न हो अथवा लंबी छूटी पर हो, सफाई की कमी वाले स्थानों पर निवास करने वाली जनसंख्या क्षेत्र अति संवेदनशील क्षेत्र- शहरी, झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिन्हित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों। छोटे गांव, टोला, बस्ती, कस्बे जहां साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं व्यवस्था की सुविधाओं की कमी हो।