परवेज़ अख्तर/सिवान:
मार्च के बाद लोगों को पहले कोरोना महामारी ने परेशानी में डाला तो उसके बाद आसमान से आफत की बारिश ने जनजीवन प्रभावित कर दिया। सावन महीने में हुई बारिश ने जिले की सभी नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी कर दी, जिसका नतीजा हुआ कि पड़ोसी जिला गोपालगंज बाढ़ ग्रस्त हो गया और वहां गंडक नदी की शाखा के रूप में जिले में प्रवाहित दाहा नदी ने सिवान के कई प्रखंडों के लोगों को खतरे में डाल दिया। बाढ़ के पानी से गोपालगंज के सटे लकड़ीनबीगंज, गोरेयाकोठी, भगवानपुर,जामो आदि क्षेत्रों की लाखों आबादी प्रभावित हो गई। सरकारी आंकड़ा 56 हजार लोगों के प्रभावित होने की पुष्टि करता रहा, लेकिन वास्तविकता यह है कि लाखों की आबादी प्रभावित हुई। वहीं दक्षिणाचंल में सिसवन में पहले सरयू नदी के जलस्तर ने लोगों को डराया तो बची कसर दाहा नदी ने अब पूरी कर दी। दाहा नदी के बढ़े जलस्तर के कारण सिसवन के कई गांव की सड़कों में पानी ने अपना डेरा जमा लिया है। इस कारण लोगों को आने जाने में परेशानी हो रही है। फिलहाल आचार संहिता के कारण प्रशासन के भी हाथ बंधे हुए हैं।
खेतों में लगी फसलें हो गईं बर्बाद
गोरेयाकोठी विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश जनता बाढ़ की त्रासदी की दोबारा मार झेल रही है। जून, जुलाई माह में क्षेत्र में बाढ़ आने से सैकड़ों गांव प्रभावित हो गए थे। इस दौरान ग्रामीण घर छोड़कर ऊंचे स्थलों पर शरण लिए हुए थे। उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। उनके घर में रखे सामान बर्बाद हो गए थे। साथ ही कड़ी मेहनत से की गई धान, मक्के व सब्जी आदि की खेती बर्बाद हो गई थी। उनके समक्ष भोजन, पेयजल, शौचालय, पशु चारा आदि के संगठन उत्पन्न हो गए थे। महीनों बाद पानी घटने के बाद वे सभी अपने घर को गए। इसके बाद सितंबर के अंतिम सप्ताह में क्षेत्र में बाढ़ का पानी दुबारा आने से सैकड़ों फसलें पुन: बर्बाद हो गई और फिर उनके समक्ष विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो गई है। इससे गोरेयाकोठी के हेतिमपुर, जगदीशपुर, जामो, दुधरा, हरपुर, गोरेयाकोठी, बसंतपुर मठिया, शामपुर, हुस्सेपुर, कन्हौली एवं लकड़ी नबीगंज खवासपुर, वाजितपुर, नंदलपुर, बालाभोपतपुर, गोपालपुर, मुस्सेपुर, इमादपुर, लछुआ चनुआ समेत सैकड़ों नबीगंज प्रखंड के कई गांव प्रभावित हो गए हैं। वहीं बाढ़ के पानी से कई जगह सड़क टूट कर गड्ढे में तब्दील हो गई हैं। वहीं कई जगह नाले भर जाने से जल निकासी नहीं होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। खासकर जामो बाजार में नाला का निर्माण नहीं होने से जलजमाव की समस्या बराबर उत्पन्न रहती है।