- गोरेयाकोठी में सत्यदेव सिंह महागठबंधन को पछाड़ने में लगा दिए हैं एड़ी चोटी का दम
- जीरादेई के जदयू के वर्तमान विधायक है रमेश सिंह कुशवाहा जो सीवान के सातों सीटों को ध्वस्त करने का कर रहे हैं दावा
- जदयू विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को पार्टी ने नहीं दिया है सिंबल तो राजद विधायक सत्यदेव सिंह भी हैं टिकट से वंचित
- कुशवाहा ने कहा पार्टी ने टिकट काटकर मुझे भगवाकरण होने से बचा लिया, मै वामपंथी आंदोलन के गर्भ से निकला हुआ व्यक्ति हूँ
- बड़हरिया को छोड़ जिरादेई, दरौली, महाराजगंज के सीटों पर काफी असर होने का अनुमान
- बड़हरिया में रालोसपा का समर्थन बना चर्चा का विषय
परवेज़ अख्तर/सिवान:
बिहार में हो रहे करोना काल के बीच विधानसभा चुनाव के दरमियान सिवान के राजनीतिक दलों में आपसी मतभेद कम होने का नाम नही ले रहा है।विधान सभा चुनाव में टिकट न मिलने से कई नाराज़ दिग्गज नेताओं ने बगावत कर अन्य दलों या निर्दल चुनावी मैदान में उतरने वालों की एक बड़ी संख्या सी नजर आ रही है।इस बीच सिवान जिले के जिरादेई से जदयू विधायक रमेश सिंह कुशवाहा ने चुनाव न लड़कर सीपीआईएमएल सहित महागठबधन के प्रत्याशी अमरजीत कुशवाहा का प्रचार कर रहे हैं। श्री कुशवाहा पर प्रकाश डाले तो 80 के दशक में वामपंथी आंदोलन के गर्भ से निकले श्री कुशवाहा के बारे में कहा जाता है कि सिवान,गोपालगंज,पश्चिमी चंपारण के कई हिस्से में भाकपा माले का संगठन खड़ा करने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।लेकिन 90 दशक के अंत में पार्टी से अपने को अलग कर लिए। श्री कुशवाहा के मुताबिक पार्टी लाइन व उनके प्राथमिकता के कार्यक्रमों में बदलाव आने से ये फैसला करना पड़ा।
इसके बाद अपने धुर राजनीतिक विरोधी नेता डॉ .मो.शहाबुद्दीन के धीरे-धीरे करीब आते चले गए और राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली। और वे पार्टी के अध्यक्ष भी बन गए।हालांकि यहां पार्टी संगठन में फीट नहीं बैठने पर उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया। 2015 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया व उन्होंने जीत भी हासिल कर ली। हालांकि इस बार नेतृत्व ने इन पर विश्वास न कर जीरादेई विधानसभा क्षेत्र से श्रीमती कमला कुशवाहा को टिकट देकर चुनावी जंग में उतारा है।हालांकि नाराज़ विधायक ने टिकट काटने के फैसले पर मुख्यमंत्री से पुनर्विचार का आग्रह किया था.हालांकि इसके बाद से ही है निर्दल चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हो गई थी।लेकिन चर्चाओं पर आखिरकार विराम लगाते हुए महागठबंधन का प्रचार करने का विधायक ने ऐलान करतेें हुए फिलहाल वेे महागठबंधन के प्रत्याशी के चुनाव प्रचार प्रसार मेंं लगे हुए हैं।
रमेश सिंह कुशवाहा ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि मैं देश के लिये विनाशकारी एवं सांप्रदायिक ,सामाजिक तनाव पैदा करने वालों के कभी पक्ष में नहीं रहा, और न ही भाजपा जैसी ताकत के साथ जदयू के राजनीतिक गठबंधन का समर्थक रहा हूं।बीजेपी की राजनीति देश और समाजहित के विरूद्ध है। खासकर सामाजिक न्याय की ताकतों के लिये भाजपा की राजनीति, पूरी तौर पर विनाशकारी है। उन्होंने अपने आप में खुशी जाहिर करतेेे हुए कहा की पार्टी ने टिकट काटकर मुझे भगवाकरण होने से बचा लिया।क्योंकि मै वामपंथी आंदोलन के गर्भ से निकला हुआ व्यक्ति हूं और भगवाकरण को कभी स्वीकार्य नहीं करता। भाजपा के फांसीवादी व तानाशाही अभियान के खिलाफ पूरी प्रतिबद्धता से लड़ता रहूंगा,और देश सहित प्रदेश में जो बदलाव की हवा चल रही है, उसका समर्थन करूंगा। रमेश सिंह कुशवाहा का कहना है कि मेरा एक मात्र मकसद जदयू के उम्मीदवारों को जिले के सभी सीटों से हराना है।
इसके लिए भाकपा माले सहित महागठबंधन के प्रत्यशियों का प्रचार कर रहा हूँ। यहां गौर करने की बात तो यह है कि उनके इस फैसले के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है जिरादेई,दरौली,महाराजगंज के सीटों पर काफी असर पड़ेगा। जबकि जीरादेई के वर्तमान जेडीयू विधायक रमेश सिंह कुशवाहा का सीधे तौर पर कहना है कि जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ बड़हरिया को छोड़कर मैं सातों विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए गठबंधन को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोडूंगा।वहीं गोरेयाकोठी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से राजद के वर्तमान विधायक सत्यदेव सिंह हैं। लेकिन इस बार के चुनाव में पार्टी ने अपना सिंबल उन्हें नहीं सौंपा। जिस कारण वे रालोसपा के सिंबल से चुनावी मैदान में हैं। सत्यदेव सिंह यह नाम अपने आप में बेशुमार है।
यहां बताते चले कि गोरेयाकोठी विधानसभा क्षेत्र वर्तमान विधायक का स्वजातीय बहुमूल्य क्षेत्र नहीं है।फिर भी वे पिछले चुनाव में राजनीति का एक तरफा बयार में भी अपनी नैया पार कर लिए थे।यहां से महागठबंधन की ओर से नूतन वर्मा को पार्टी के शीर्ष नेता तेजस्वी यादव ने अपना उम्मीदवार बनाते हुए चुनावी अखाड़े में उतारा है। जबकि वर्तमान राजद विधायक सत्यदेव सिंह टिकट से वंचित रह गए। टिकट से वंचित रहने के कारण सत्यदेव सिंह रालोसपा के सिंबल से चुनावी अखाड़े में अपने वैतरणी को पार करने की जुगत में लगे हुए हैं।लेकिन इनकी अंदरूनी इच्छा क्या गुल खिलाएगी इस पर अभी जल्दबाजी कहना बेईमानी होगी। हालांकि सत्यदेव सिंह पूर्व से ही चुनावी अखाड़े की दिग्गज पहलवानों मे से गिने चुने राजनीतिक गणितज्ञ में इनकी पहचान है।