- जिले के सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का रखा जाता है विशेष ध्यान
- माताओं की नियमित जांच कर दी जाती स्वास्थ्य सुविधाएं
- बीमार नवजातों के लिए सदर अस्पताल में संचालित है बच्चों के लिए एसएनसीयू
छपरा: केंद्र व राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग के स्तर से जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। ताकि, सुरक्षति प्रसव के साथ-साथ मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल संचालन के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहें हैं, जिसका सकारात्मक असर भी दिख दिख रहा है। लेकिन, जिले के दियारा इलाकों में अभी भी ऐसे गांव हैं, जहां गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों में भर्ती करने के बजाए परिजन घरेलु प्रसव व निजी क्लिनिक में ले जाते हैं। जो जच्चा व बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
20.5 % महिलाएं ही करा पाती हैं चार प्रसव पूर्व जांच
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) के अनुसार जिले में 62.0 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में होते हैं। जिसमें 77 प्रतिशत प्रसव किसी प्रशिक्षित चिकित्सक या नर्स की निगरानी में संपादित होते हैं। वहीं, 81.3 प्रतिशत गर्भवती माताएं मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड प्राप्त करती हैं। लगभग 34.2 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं गर्भधारण के तीन महीने के अंदर प्रसव पूर्व जांच कराती हैं। जबकि केवल 20.5 प्रतिशत महिलाएं ही 4 प्रसव पूर्व जांच करा पाती हैं। इन आंकड़ों में सुधार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग व समेकित बाल विकास परियोजना मिल कर काम कर रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों में दिया जा रहा वीएचएसएनडी पर बल
जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर अधिक से अधिक गर्भवती माताओं के प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने पर बल दिया जाता रहा है। इसके लिए सभी एएनएम एवं आशाओं का क्षमतावर्धन भी किया गया है। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संबंधित प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के साथ क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को भी इसको लेकर विशेष निर्देश दिये गए हैं। संस्थागत प्रसव कराने से शिशुओं के साथ-साथ माताएं भी सुरक्षित रहती हैं। इसके माध्यम से जिले में पूर्व की अपेक्षा मातृ-शिशु मृत्यु दर बहुत कम हुआ है। अभी गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता और एएनएम लगातार गर्भवती माताओं को प्रसव पूर्व जांच कराने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं।
मां बनने पर मिलते हैं 5 हजार रुपये
संस्थागत प्रसव के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना के तहत प्रथम बार मां बनने वाली माताओं को 5000 रुपये की सहायक धनराशि दी जाती है जो सीधे गर्भवती महिलाओं के खाते में पहुंचाती है। इस योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को तीन किस्तों में दिया जाता है। पहली किस्त 1000 रुपये की तब दी जाती है जब गर्भवती महिला अपना पंजीकरण कराती हैं। दूसरी किस्त में 2000 रुपये गर्भवती महिला को छः माह बाद होने प्रसव पूर्व जांच के उपरान्त दी जाती है। तीसरी और अंतिम किस्त में 2000 रुपये बच्चे के जन्म पंजीकरण के उपरांत व प्रथम चक्र का टीकाकरण पूर्ण होने के बाद दिया जाता है।
संस्थागत प्रसव के फायदे
- कुशल एवं प्रशिक्षित डॉक्टर की देखरेख में होता है, किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होते हैं
- दवा और उपकरण की सुलभता
- किसी भी गंभीर स्थिति की समय रहते पहचान
- जच्चा और बच्चा की समुचित देखभाल
- शिशु और मातृ मृत्यु दर पर अंकुश
- प्रसव के बाद माँ और बच्चे की सम्पूर्ण देखभाल