- मास्क रहे तो कोरोना शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएगा
- लोग सावधानी बरतेंगे तो जिला कोरोना मुक्त होगा
- संक्रमण रोकने में हर व्यक्ति का सहयोग बहुत जरूरी
छपरा: जिले में कोरोना का संक्रमण भले ही कम हुआ है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। एक संक्रमित व्यक्ति भी दूसरे लोगों में संक्रमण फैला सकता है। अभी सावधानियां बरतनी हैं, तभी इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा कहते हैं कि कोरोना संक्रमण किसी को भी अपने जद में ले सकता है। बचाव जरूरी है। जिस तरह बाजारों में भीड़ उमड़ रही है, वैसे ही संक्रमण बढ़ने का खतरा भी मंडरा रहा है। लोग सावधानियां बरतेंगे तो इससे बचाव हो सकता है और जिला कोरोना से मुक्त हो पाएगा। इस कार्य में हर व्यक्ति का सहयोग बहुत जरूरी है। जहां भी जाएं, वहां भी चेहरे पर मास्क रहे तो कोरोना शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है। साथ ही शारीरिक दूरी के पालन से तो कोरोना पास भी नहीं आएगा। वहीं हाथों को बार-बार साबुन से धोना और सैनिटाइजर से साफ करने से भी संक्रमण से बचाव किया जा सकता है।
आयुष पद्धति में है कोरोना संक्रमण से लड़ने की क्षमता
सीएस डॉ झा ने कहा कि कोविड-19 महामारी में आयुष पद्धति काफी कारगर है। संक्रमण से लड़ने की क्षमता विकसित करता है। उन्होने कहा कि आयुष पद्धति की जो भी चीजें उपयोग में आ रही हैं, उन सभी के इस्तेमाल से शरीर में इम्युनिटी बढ़ती है। नीबू, अदरक, शहद इस्तेमाल किया जाए तो वायरस के असर को कमजोर बनाता है। काढ़ा जरूरत के हिसाब से लें। चिकित्सकों का सलाह लेकर ही काली मिर्च, तुलसी पत्ती लें। अधिक मात्रा में लेने से नुकसान भी हो सकता है।
जागरूक नागरिक बनने का आह्वान
डीपीएम अरविंद कुमार ने जागरूक नागरिक बनने के आह्वान किया। बताया कि कोरोना वायरस जाति और धर्म को नहीं देखता है। सावधानियां बरतना सभी के लिए जरूरी है। लोग सुरक्षित रहेंगे तो परिवार भी सुरक्षित होगा और दोस्तों तक कोरोना का वायरस नहीं पहुंच सकेगा। बाजार में सामान लेने जाए या फिर बैंकों में धनराशि का लेन-देन यहां भी सुरक्षा बरतें।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का पालन करें
- हमेशा फेस कवर या मास्क पहन कर घर से बाहर जाएं
- टीकाकरण स्थल पर 2 गज की शारीरिक दूरी का पालन करें, अनावश्यक भीड़ न लगाएं
- अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं
- साबुन पानी की अनुपलब्धता में एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें
- आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें
- छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें