- बच्चों के लिए जरूरी है न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन, रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास
- कोविड के नियमों का पालन करते हुए बच्चों को लगवाएं टीका
छपरा: प्रत्येक वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। सर्दी के मौसम में निमोनिया के मामले ज्यादा आते हैं। इस बीमारी से पांच साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। जिले में ठंड की आहट दिखाई पड़ने लगी है। अमूमन अक्टूबर माह के अंत से जिले में सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है। लेकिन, इस बीच अधिकतम व न्यूनतम तापमान में काफी अंतर रहता है। ऐसे में शिशुओं, बच्चों व बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। वहीं, सर्दियों के साथ संक्रमित बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। जिनमें से एक निमोनिया भी है। ऐसे में सर्दियों के आगमन के साथ ही, बच्चों व वृद्धों की उचित देखभाल के साथ-साथ पोषण युक्त खाना देना बहुत जरूरी है।
निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने बताया निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। आम तौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन पांच साल से छोटे बच्चों व 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इसलिए निमोनिया का असर जल्द होता है। बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकॉकल कॉन्जुंगेट वैक्सीन यानि पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है।
संपूर्ण टीकाकरण निमोनिया को करेगा दूर
डॉ. शर्मा ने बताया बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। न्यूमोकॉकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है। वहीं, निमोनिया को दूर रखने के लिए व्यक्तिगत साफ-सफाई जरूरी है। छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को ढक लें। समय-समय पर बच्चे के हाथ भी जरूर धोना चाहिए। बच्चों को प्रदूषण से बचायें और सांस संबंधी समस्या न रहें इसके लिए उन्हें धूल-मिट्टी व धूम्रपान करने वाली जगहों से दूर रखें। बच्चा छह महीने से कम का है, तो नियमित रूप से स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है। भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
निमोनिया के लक्षण
बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह ठीक होने में 10-12 दिन लगते है। वायरस, बैक्टीरिया व फंगस के अलावा दूसरे संक्रमित लोगों के संपर्क में आने के कारण निमोनिया होता है। निमोनिया में बुखार के साथ बलगम वाली खांसी, सीने में हल्का दर्द होता है। नवजात व छोटे बच्चों की इम्युनिटी कम होती है इसलिए वे जल्द ही निमोनिया के शिकार हो जाते हैं।
कोरोनाकाल में इन बातों का रखें ध्यान
कोरोना काल में बच्चों को जहां निमोनिया से बचाना जरूरी है, ठीक उसी प्रकार कोरोना संक्रमण से बचाव करना भी अभिभावकों की जिम्मेदारी है। संक्रमण से बचाने के लिए कोविड-19 के इन नियमों का पालन करना जरूरी है
- अस्पताल जाने के लिए बिना मास्क के घर से बाहर न निकले
- अस्पताल में टीका दिलाते समय शारीरिक दूरी का पालन करें
- टीका दिलाते समय बच्चों को अपने गोद में रखें
- छोटे बच्चों को नियमित रूप से समय-समय पर हाथ धोने के लिए प्रेरित करें
- घर में बाहर से आने वाले लोगों से बच्चों को दूर रखें