गोपालगंज: साहित्य के क्षेत्र में गोपालगंज की एक अलग पहचान है.यहां की प्रतिभाओं ने सिर्फ अपने देश ही नहीं,बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है. आज फिर इसी माटी में पल्लवित एक युवा कवि अपनी उत्कृष्ट काव्य रचनाओं को लेकर साहित्य जगत में छाया हुआ है.जिले के कटेया प्रखंड के बेलवा गांव निवासी स्व प्रोफेसर रामायण तिवारी के बेटे युवा साहित्यकार व कवि आशुतोष त्रिपाठी की पुस्तक’मेरे भीतर का मैं’पाठकों की पहली पसंद बनी हुई है.इन दिनों यह काव्य संग्रह अमेजन पर भी धूम मचाया हुआ है.इसकी कविताओं को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.अपनी पहली काव्य रचना से ही आशुतोष त्रिपाठी ने उत्कृष्ट युवा कवियों में अपनी जगह बना ली है.इस पुस्तक ने साहित्य के क्षेत्र में इन्हें एक अलग पहचान दिलायी है.
‘मेरे भीतर का मैं’पुस्तक में प्रेम, राजनीति, साहित्य, संस्कृति व दर्शन से जुड़ी रचनाओं के साथ-साथ आधुनिकता व सामाजिक कुरीतियों पर कटाक्ष करती हुई कई सार्थक रचनाएं हैं. कविताओं में व्यंग-विनोद के साथ सामाजिक व राजनीतिक चेतना भी समावेशित है,जो इस पुस्तक को लोकप्रिय बना रही है.इस काव्य संग्रह की ‘याद,कलम प्यासी है,तुममें सब है,प्रजातंत्र,दिल्ली दंगे पर,जल उठेगी राख,उम्र और मैं, प्रेमिका का आगमन,मैं जिंदा हूं, खबरों की खबर’ आदि कविताएं सोशल मीडिया पर भी खूब सुनी व पढ़ी जा रही हैं.इस पुस्तक का फ्लैप हिंदी के प्रख्यात आलोचक व जेएनयू के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ मैनेजर पांडेय ने लिखा है.वहीं,इसकी भूमिका कटेया के रैपुरा निवासी रिटायर्ड शिक्षक व प्रख्यात विद्वान नथुनी पांडेय ने लिखी है.साहित्य से जुड़े लोग आशुतोष त्रिपाठी के इस काव्य संग्रह को काफी पसंद कर रहे हैं.