छपरा-मांझी सड़क पर वाहनों से अवैध वसूली करती नजर आयी पुलिस
छपरा: बिहार में बढ़ रहे अपराध पर नियंत्रण को लेकर सरकार ने एक फरमान जारी किया है कि राज्य के सभी जिलों में पुलिस विभाग के छोटे से बड़े आलाधिकारी तक सड़कों पर गश्त करते नजर आएंगे। लेकिन यह आदेश शायद कागजों तक ही सिमटती हुई नजर आ रही है। यूपी-बिहार के बॉर्डर की बात करें तो यहां यूपी से आने जाने वालों वाहनों की चेकिंग के लिए पुलिस चौकी तो दिखी। लेकिन एक भी पुलिसकर्मी नहीं दिखे। हम बात कर रहे हैं सारण जिले की जहां बीती रात्रि में पुलिस गश्ती की बात करें, तो एक्का-दुक्का छोर कहीं भी पुलिस गश्ती दल नहीं मिला। अगर मिला भी ओ पुलिसिया स्वभाव में ही मुंशी प्रेमचंद की कहानी “नमक का दरोगा” की तरह दिखी। जिसके प्रसंग “मासिक वेतन तो पूर्णमासी की चांद की तरह है। ऊपरी इनकम बढ़ता हुआ स्रोत है।” इसी चरितार्थ करते दिखे पुलिस कर्मी, जो हर आने-जाने वाले वाहनों से अवैध वसूली करते दिखे।
हालांकि कि पुलिस ने यह तर्क दिया है कि वाहनों के कागजात चेक करने के लिए पुलिस वाहनों को रोके रखी थी। यूपी तरफ से आने वाले वाहनों को चेक न कर उन्हें वसूली कर पुलिस के द्वारा पास करवाया जाता है। ऐसे में शराब से लदी वाहनें भी आती होंगी। जिसे ऐसे सुरक्षाकर्मियो के द्वारा सुरक्षित तरीके से पास करवा दिया जाता होगा। जिसकी रियलिटी चेक सारण में कुछ प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के द्वारा किया गया। जिससे सीधे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बिहार सरकार के मुखिया के आदेशों की कैसे धज्जियां उड़ायी जा रहा है। इस संबंध में पुलिस विभाग के सीनियर ऑफिसर से उनका वर्जन लेने हेतु प्रयास के बावजूद संपर्क स्थापित नहीं हो सका।