पटना : बिहार से खाड़ी देशों में रोजगार के लिए जाने वाले लोगों को जल्द पटना में भी प्री-मेडिकल की सुविधा उपलब्ध होगी। अभी बिहार के लोगों को यह मेडिकल कराने के लिए दिल्ली, लखनऊ, मुंबई और कोलकाता की दौड़ लगानी पड़ती है। हजारों रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा लोग मेडिकल के नाम पर ठगी भी करते हैं। गमका (गल्फ एक्रीडेटेड मेडिकल सेंटर्स एसोसिएशन) का केंद्र बनने के लिए अस्पताल 31 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं।
बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्सों से हर साल बड़ी संख्या में लोग खाड़ी देशों में जाते हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सउदी अरब, ओमान, कुवैत, बहरीन और कतर शामिल हैं। इनमें से कतर को छोड़ बाकी सभी जगह गमका के सेंटर से प्री-मेडिकल कराना जरूरी होता है। कतर के वीजा के लिए अलग से मेडिकल कराना होता है। अभी तक गमका की सूची में पटना सहित बिहार के किसी शहर का विकल्प उपलब्ध नहीं था। मगर अब प्रोटेक्टर ऑफ इमीग्रेंट्स कार्यालय बिहार-झारखंड की पहल के बाद अब गमका का केंद्र बिहार में भी खुलने का रास्ता साफ हो गया है।
विदेश मंत्रालय की पहल के बाद गल्फ हेल्थ काउंसिल ने राज्य के अस्पतालों से 31 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। प्रोटेक्टर ऑफ इमीग्रेंट्स ताविशी बहल पांडेय ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को पत्र लिखा है। पटना के प्रतिष्ठित अस्पतालों को सूचीबद्ध कराने का आग्रह किया गया है ताकि बिहार के लोगों को मेडिकल कराने के लिए दूसरे राज्यों की दौड़ ना लगानी पड़े।
हर साल खर्च होते हैं 10 करोड़ से अधिक
खाड़ी देशों को जाने वाले बिहारियों का हर साल 10 करोड़ से अधिक का खर्च गमका के सेंटरों पर केवल प्री-मेडिकल कराने में हो जाता है। दरअसल यहां के ज्यादातर लोग लखनऊ, कोलकाता और दिल्ली मेडिकल कराने जाते हैं। जबकि कुछ लोग एजेंट की सुविधानुसार मुंबई भी जाते हैं।
बिहार में हो रहा फर्जीवाड़ा
बिहार में खाड़ी देशों के मेडिकल के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा चल रहा है। बीते दिनों में पटना में पृथ्वी एंटरप्राइजेज और जोया कंसल्टेंसी, कंकड़बाग में प्रोटेक्टर ऑफ इमीग्रेंट्स द्वारा की गई छापेमारी में मेडिकल की फर्जी रसीदें मिली थीं। यह रसीदें पटना के एक डायग्नोस्टिक सेंटर के नाम की थी। इससे पहले गोपालगंज के एक सेंटर की भी फर्जी रसीदें मिली थीं।
खाड़ी देशों को जाने वाले बिहारियों की स्थिति
वर्ष जाने वाले बिहारियों की संख्या
2014 85266
2015 96349
2016 69109
2017 63190
2018 49146
2019 31241
बिहार से बड़ी संख्या में हर साल लोग खाड़ी देश जाते हैं मगर उन्हें मेडिकल के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। जल्द यह सुविधा उन्हें पटना में उपलब्ध होगी।
– ताविशी बहल पांडेय, प्रोटेक्टर ऑफ इमीग्रेंट्स, बिहार-झारखंड