एसपी ने दिए थे जांच के आदेश, प्रारक्ष डीएसपी ने किया सत्यापन तो सामने आई बात
डीएसपी के बयान पर मुफ्फसिल थाना में दर्ज हुई प्राथमिकी, सत्यापन में एक राइफल
राइफल की 28 गोलियां, नाइन एमएम के दो पिस्टल और 57 गोलियां गायब, जबकि 383 गोलियां पाई गईं अधिक
परवेज़ अख्तर/सिवान :- अब इसे लापरवाही कहें या चोरी, पुलिस लाइन स्थित शस्त्रागार से पुलिस के ही हथियार व गोलियां रहस्यमय तरीके से गायब हो गई हैं। इस मामले में जांच अधिकारी के बयान पर मुफ्फसिल थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। मामले की जानकारी तब हुई है जब एसपी नवीन चंद्र झा ने शस्त्रागार में रखे गए हथियारों की जांच के आदेश दिए । जांच के आदेश मिलने के बाद प्रारक्ष डीएसपी ने शस्त्रागार में रखे गए हथियारों की जांच की। जांच में पुलिस का एक राइफल नंबर 1 मार्क 3/1303 का एक पीस कम पाया गया, जबकि इसकी 20 गोलियां भी गायब हैं। वहीं नाइन एमएम के दो पिस्टल और इसकी 57 गोलियां गायब पाई गई हैं। जबकि कई अन्य हथियारों की गोलियां अधिक भी मिली हैं। मामले में बताया जाता है कि एसपी नवीन चंद्र झा ने 22 जून को ज्ञापन संख्या 19/34 के तहत पुलिस केंद्र स्थित शस्त्रागार के भौतिक सत्यापन के आदेश दिए। इसके बाद प्रारक्ष डीएसपी कल्पनाथ सिंह ने जांच किया। जांच के दौरान कई अनियमितता पाई गई। शस्त्रागार में रखे गए हथियार कम पाए गए। पूछताछ पर किसी ने कुछ भी नहीं बताया। इसके बाद उन्होंने इसकी सूचना एसपी को दी। उन्होंने एसपी को अपने जांच का प्रतिवेदन देते हुए बताया कि शस्त्रागार से एक राइफल नंबर 1 मार्क 3/1303 का एक पीस कम पाया गया। जबकि इसकी 20 गोलियां भी कम थीं। वहीं नाइन एमएम का दो पिस्टल गायब मिला। इसके 57 कारतूस भी गायब थे। जांच में यह भी पाया गया कि 5.56 एमएम की 383 गोलियां, 7.62 एमएम की दो गोलियां, तथा एके 47.762×39 एमएम की 35 गोलियां अधिक मिलीं। जबकि 3.8 एमएम की 19 गोलियां अधिक मिली हैं। इस मामले में प्रारक्ष डीएसपी के बयान पर मुफस्सिल थाना में कांड संख्या 364/18 के तहत अज्ञात शस्त्रागार प्रभारियों एवं मुंशियों को अभियुक्त बनाया गया है।
कैसे गायब हुए हथियार जांच का विषय
पुलिस लाइन से जवानों के गायब होने की तो सूचना अक्सर आम रहती है लेकिन शस्त्रागार से हथियारों के गायब होने का मामला अधिकारियों को हैरानी में डालने वाला है। यहां से एक सरकारी राइफल गायब है जबकि उसकी 57 गोलियां भी गायब हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कुछ हथियारों के कारतूस ज्यादा भी मिले हैं। कहीं ना कहीं शस्त्रागार की रखवाली और हथियारों के मिलान में तैनात अधिकारियों की ही लापरवाही का नतीजा है कि यह घटना हुई है।