परवेज अख्तर/सिवान:
जीव आत्मा प्रमारत्मा का दोस्त है, अर्थात आत्मा और प्रमात्मा दोनों मे ही ईश्वर का ही वास है. इसको जिस मनुष्य ने जान लिया वह मानव महान है. विपति काल मे धर्म की परीक्षा होती है. लाख विपत आए जाए मनुष्य को कभी धर्म का मार्ग नही छोड़ना चाहिए. मानव अगर मानव की सेवा करता है वह भी एक धर्म के समान ही है. हनुमान ने एक दोस्त के साथ साथ सेवक की भूमिका निभाई. यह बातें मंगलवार को अयोध्या से पधारे कथावाचिका सपना नन्दनी शहर कनखास चौक स्थित मां शक्ति स्वरूपा मंदिर के प्रथम वार्षिकोत्सव के पावन अवसर पर मंदिर परिसर मे आयोजित सात दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के दौरान कही.रामकथा के दुसरे दिन श्रद्धालूओं की भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं कथावचक ने कहा राम का बनवास, सवरी से मिलन आदि प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि अपने गांव व नगर में जहां कहीं भी धार्मिक आयोजन एवं कथा होती है तो निसंकोच अहंकार त्यागकर भगवान की भक्ति का यह प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
जीवन में यह सोच कभी भी नहीं लाएं कि धर्म एवं कथा का आयोजन तो उस व्यक्ति ने व्यक्तिगत कराया है. उसका परिवार इसका लाभ लेगा. श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण गंगा के जल सा और भव्य सागर की तरह होता है. इसको श्रवण करने वालों की कोई सीमा नहीं होती है. अनंत की संख्या में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया जा सकता है.साध्वी ने कहा भाव के विना भगवान नही मिलते. रामचरित्र मानस में राम और सीता का व्यवहार हमारे और समाज के लिए एक आदर्श है. प्रवचन के दौरान बीच-बीच में भजन व कीर्तन से लोग भक्ति की सागर में गोता लगाते रहे.कथा श्रवण करने वालों भक्तगणों में रामबाबू प्रसाद,दिलीप कुमार सिंह, सुरेश कुमार कसेरा, सुनील कुमार, राजन कुमार, प्रमोद कुमार ,मोहन कुमार पद्माकर, विनोद कुमार, प्रिसं कुमार,पप्पू कुमार, शम्भु प्रसाद के अलावें सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष भक्तजन मौजूद रहे.