परवेज अख्तर/सिवान:
खान साहब सोचते थे अगर वे कुछ ऐसे खुदाई खिदमतगार पैदा कर सकें जो मन, बचन और कर्म से एक हो तो उसका जीवन सफल हो जाए। इसीलिए वो बार बार कहते की मुझे ज्यादा खुदाई खिदमतगारो की नही। मुझे तो सिर्फ कुछ सच्चे खुदाई खिदमतगार की जरूरत हैं। खान साहब कहते थे एक खुदाई खिदमतगार में ये खूबियाँ तो होनी ही चाहिए जो वह वो करके दिखाएं। पार्टीबाजियां, मुक़दमे बाजियां और दुश्मनिया न करें। किसी पर जोर जुल्म न करें, किसी से बदला न लें जो कोई उसकी बुराई करे वो उसके साथ यह न करें, अच्छा चरित्र और अच्छी आदते पैदा करें जुल्म के खिलाफ आवाज़ दें।
सच बोले दुराचार से बचा रहे, शुद्ध, स्वच्छ और सरल हो। वो बार बार कहते थे लोगो सोच लो समझ लो हमे खूब देख लो और परख लो तब खुदाई खिदमतगार बनो ताकि बाद में पछतावा न हो। हमारे रास्ते कठिन हैं। मकसद दूर और बड़ा हैं। इसमें फ़ौरन न ख़ुशी हैं न कोई फल हैं। सिर्फ काम हैं इंसानियत का काम। खिदमते खल्क हैं जिसके रास्ते में भूकंप, बाड़, तबाही, दर्द, दुःख के रोड़े हैं इन्हें पार करके जाना हैं। मीलो जाना हैं जिसमे कहीं ठहराव नही हैं।
अगर आप तैयार हो सके तो यकीं माने ईश्वर के साथ।