- जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
- परिवार नियोजन की सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए दी गयी ट्रेनिंग
- केयर इंडिया के द्वारा दिया गया प्रशिक्षण
गोपालगंज: परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को उपलब्ध कराने एवं सुदृढ़ीकरण को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। शहर के एक निजी होटल में आयोजित इस कार्यशाला में जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, इम्पैनल सर्जन को परिवार नियोजन की सभी सेवाओं के बारे में जानकारी दी गयी। कार्यशाला का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. टीएन सिंह व व एसीएमओ डॉ. एके चौधरी ने किया। केयर इंडिया के डीटीएल मुकेश कुमार सिंह, परिवार नियोजन समन्वयक अमित कुमार, डॉ. दिनेश मौर्या के द्वारा पीपीटी के माध्यम से चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। सिविल सर्जन डॉ. टीएन सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण में परिवार नियोजन के स्थाई एवं अस्थाई सेवा के बारे में बताया गया। इस दौरान नसबंदी, बंध्याकरण, कॉपर-टी, अंतरा, छाया, माला-एन, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, इमरजेंसी पिल्स इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण के दौरान परिवार नियोजन के साधनों को लेकर भ्रांतियों पर भी चर्चा की गयी। सीएस ने कहा कि अंतरा लगवाने के बाद दो माह तक रक्तस्राव स्त्राव होना, महामारी का को अनियमित होना सामान्य बात है। प्रसव के छह सप्ताह बाद अंतरा की का सुई लगायी या जा सकती ता है। एचआईवी पॉजिटिव महिला को अंतरा लगाया जा सकता है।
आईयूसीडी लगाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर चर्चा
केयर इंडिया के डीटीएल मुकेश कुमार सिंह ने कहा परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी आइयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। चिकित्सक व कर्मी महिलाओं को दो बच्चों के बीच दो या दो से अधिक वर्ष के अंतर के लिए आईयूसीडी का प्रयोग करने की जानकारी दें। प्रशिक्षण में कर्मियों को इससे होने वाले लाभ व लगाने के दौराने बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया गया। आईयूसीडी लगाने के बाद महिलाओं के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाएं ऑपरेशन के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं, उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है।
अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है आईयूसीडी से
डीटीएल मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी, गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी सरकारी अस्पताल में लगवाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है तो इसके इस्तेमाल से सेहत को कोई नुकसान नहीं है।
बच्चों में अंतर रखने के लिए कॉपर-टी बेहतर विकल्प
केयर इंडिया के परिवार नियोजन समन्वयक अमित कुमार ने बताया कि पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटाराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी)। यह उस गर्भ निरोधक विधि का नाम है जिसके जरिए बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने में मदद मिलती है। प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। प्रसव के बाद अस्पताल से छ़ुट्टी मिलने से पहले ही यह डिवाइस (कॉपर टी) लगवाई जा सकती है। इसके अलावा माहवारी या गर्भपात के बाद भी डाक्टर की सलाह से इसे लगवाया जा सकता है। एक बार लगवाने के बाद इसका असर पांच से दस वर्षों तक रहता है। यह बच्चों में अंतर रखने की लंबी अवधि की एक विधि है। इसमें गर्भाशय में एक छोटा उपकरण लगाया जाता है। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ. टीएन सिंह, एसीएमओ डॉ. एके चौधरी, प्रभारी डीसीएम निखत प्रवीन, केयर इंडिया के डीटीएल मुकेश कुमार सिंह, परिवार नियोजन समन्वयक अमित कुमार, डॉ. दिनेश कुमार मौर्या समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे।