परवेज खतर/सिवान : जनवादी लेखक संघ के तत्वावधान में कन्हैया लाल जिला पुस्तकालय वी एम एच उच्च विद्यालय के परिसर में स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सिंह एवं श्रीमती सुशीला पांडेय की अध्यक्षता में वर्तमान संदर्भ में लोकतंत्र एवं किसान विष्यक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस संगोष्ठी में आलेख पाठ करते हुए अरुण सिंह ने लोकतंत्र एवं किसान आंदोलन पर विशद लेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों से विक्षुब्ध होकर किसान आंदोलनरत है,किन्तु सरकार उनकी वाजिब मांगों को मानने को तैयार नहीं है।क्योंकि किसानों की मांग मानने का मतलब है अपने कारपोरेट मित्रों को नाराज करना।स्वामी सहजानन्द ने ब्रिटिश हुक्मरानों के विरुद्ध किसान आंदोलन छेड़ा और कहा कि मालगुजारी कैसे लेंगे।”लठ हमारा जिन्दावाद” की उक्ति चरितार्थ करने की जरूरत है।अर्थात सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अन्नदाता कमर कस चुके है।
इस संगोष्ठी को सम्बोधित करने वालों में प्रो बीरेंद्र यादव ने कहा कि अन्न सत्यम,जगत सत्यम।अर्थात खेती और अनाज उगाने वालों के साथ अन्याय हमे अधोगति की ओर पहुँचा देगा।अतः हमारा कर्तव्य है कि किसान आंदोलन का समर्थन करें।जगदीश प्रसाद अधिवक्ता ने कहा कि किसान आंदोलन खाद्य सुरक्षा से भी जुड़ा है।प्रसिद्ध अधिवक्ता रविंद्र सिंह ने कहा कि कोऑपरेटिव खेती की बात करते थे,किंतु वर्तमान सरकार कॉरपोरेट खेती की बात कर रही है।इसलिए किसान आंदोलित है।इस संगोष्ठी को सम्बोधित करने वालो में प्रमुख हैं प्रितेश रंजन राजुल,दशरथ राम ,युगलकिशोर दुबे,एआईएसएफ के जिलाध्यक्ष नीरज यादव,एआईएसएफ के जिला सचिव शशि कुमार, रामचंद्र मिश्र,सफीर मखदुमि,बदरे आलम,तनवीर आलम,आदित्य कुमार विनोद ,वामदेव वर्मा,विक्रम पंडित,महेंद्र यादव,मुन्ना मिश्रा, अरुण भार्गव, अखिलेश्वर दीक्षित आदि लोग उपस्थित थे।