- प्रसव के सात दिनों तक बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी को मिलेंगे 3000 रुपये
- परिवार नियोजन को हर हाल में अपनाने के लिए किया जा रहा प्रेरित
- नवदम्पतियों की हो रही है काउंसिलिंग
- आरोग्य दिवस पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों का हुआ नियमित टीकाकरण
छपरा: परिवार नियोजन के भ्रामक तथ्यों जैसे नसबंदी या बंध्याकरण को ही समाज में परिवार नियोजन समझा जाना, अक्सर 3- 4 बच्चों के जन्म हो जाने के पश्चात ही इसके लिए आगे बढ़ना इत्यादि से लोगों को निरंतर जागरूक करने में आशा सहित अन्य फ्रंटलाइन कर्यकर्ता द्वारा महती भूमिका निभायी जा रही है। इसके लिए प्रत्येक ग्रामीण स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता दिवस पर एएनएम, स्वास्थ्य कर्मी और आंगनबाड़ी सेविका के संयुक्त प्रयास से किशोरियों, नवदम्पतियों, गर्भवतियों और धातृ माताओं को प्राथमिकता के तौर पर नियोजित परिवार सुखी परिवार की अवधारणा पर सत्र (सेशन) का आयोजन किया जाता है। इसमें विशेष तौर से प्रथम शिशु की माँ को परिवार नियोजन के उपायों जैसे एक शिशु से अगले शिशु तक में कम से कम तीन वर्ष के अंतर को रखने के लिए परामर्श दी जाती है। इतना ही नहीं परिवार नियोजन की बारीकियों को बतलाने के लिए प्रखंड स्तर पर पोस्टर एवं ऑडियो के साथ जागरूकता रथ को लगातार संचालित किया जा रहा है। ताकि लोगों में इसको लेकर किसी भी तरह के संशय की स्थिति न हो।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को समय पर टीका लेना जरूरी
सिविल सर्जन डॉ जनार्दन प्रसाद सुकुमार ने कहा कि जिले में कोविड-19 टीकाकरण के साथ-साथ नियमित टीकाकरण भी निर्बाध रूप से चल रहा है। गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर टीका लगवाना आवश्यक है। टीका से बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है। ऐसे में आमजनों से अपील है कि अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र या उप स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर अपना टीकाकरण अवश्य कराएं।
प्रसव के सात दिनों तक बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी को तीन हजार रुपये
सिविल सर्जन डॉ जेपी सुकुमार ने बताया कि जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर महिलाओं के बंध्याकरण करने की व्यवस्था की गई है। वहीं परिवार नियोजन को हर हाल में अपनाने के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके लिए परिवार नियोजन परामर्शियों द्वारा उपस्वास्थ्य केंद्रवार नवदम्पतियों की ट्रैकिंग और काउंसिलिंग भी की जा रही है।विभिन्न स्तर पर परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध हैं। जिसमें पुरुषों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सदर अस्पताल स्तर पर कंडोम वेंडिंग मशीन द्वारा आसानी से कंडोम तक पहुँच, महिलाओं के लिए गोलियां ओसी एवं ईसी पिल्स, अन्तरा की सुइयां जिसे लगाने के लिए प्रेरित करने वाले और लाभार्थी तक को सौ-सौ रुपये की सहयोग राशि भी दिए जाने की व्यवस्था है।
परिवार नियोजन के प्रति लोगों में आई जागरूकता
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि जिले में विगत कुछ वर्षों से उपरोक्त उपायों के अपनाये जाने से परिवार नियोजन में आई जागरूकता के बारे में भी एक अच्छे संकेत हैं। जनसंख्या स्थिरीकरण में परिवार नियोजन की बहुत अधिक भूमिका है। सभी अस्पतालों में ‘अंतरा’ इंजेक्शन और ‘छाया’ गोली निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए यह इंजेक्शन तीन माह में एक बार लगाया जाता है, वहीं जो महिलाएं इंजेक्शन लगवाने से डरती हैं उनके लिए छाया गोली है। ये हफ्ते में 2 बार दी जाती है। उन्होंने बताया कि गर्भनिरोधक इंजेक्शन का स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।