- निजी चिकित्सकों को भी दी जाती है प्रोत्साहन राशि
- मरीजों को पोषाहार के लिए 500 रूपये की आर्थिक मदद
- जिले में टीबी उन्मूलन के लिए चलया जा रहा है जन आंदोलन अभियान
छपरा: जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए जन आंदोलन के रूप में व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। टीबी के मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की पोषाहार की राशि दी जाती है। वहीं टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रूपये तथा उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया तो 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को 500 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।
संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध
सिविल सर्जन डॉ. जर्नादन प्रसाद सुकुमार ने कहा जिले के सभी प्रखंडों में टीबी मरीजों के लिए संपूर्ण इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की सुविधा के साथ दवा भी उपलब्ध है। जो दवा निजी अस्पताल में मिलती है, वही सरकारी अस्पताल में भी मिलती है। लेकिन निजी अस्पताल में अधिक कीमत पर यह दवा उपलब्ध है, जबकि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दी जाती है। टीबी के मरीजों को दवा का कोर्स पूरा करना जरूरी है। अगर बीच में दवा छोड़ देते हैं तो उनका इलाज लंबे समय तक चलता है।
ऐसे लक्षण दिखे तो जरूर जांच कराएं
बच्चों व व्यस्कों में टीबी बीमारी के कुछ सामान्य लक्षण होए हैं जिसे देखकर टीबी का अनुमान लगाया जा सकता है। टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए। पसीना आना, थकावट, वजन घटना एवं बुखार रहना टीबी के लक्षण हैं ।
टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज जरूरी
सिविल सर्जन डॉ जेपी सुकुमार ने कहा – टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसके खिलाफ हमें लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अक्सर यह देखा जाता है कि टीबी, गरीब परिवार या कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में होती है, क्योंकि अगर कोई एक व्यक्ति टीबी से ग्रसित हो गया तो संक्रमण की चपेट में पूरा परिवार आ सकता है. इसके पीछे कारण यह है कि टीबी हवा के माध्यम से तेजी से फैलता है, जबकि गरीब तबके के सभी लोग एक छोटी झोपड़ी में रहते हैं जिस कारण एक दूसरे में टीबी आसानी से फैल जाती है। टीबी फैलने के मुख्य कारण हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआईव एवं , धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, निजी चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रेस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच भी पहुंच बनानी होगी, जहां अभी तक लोगों का ध्यान नहीं जा पाया है।
2025 तक सारण जिला समेत पूरे देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य
2025 तक सारण जिला समेत पूरे देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार टीबी उन्मूलन की दिशा में हर संभव कदम उठा रही है। स्वास्थ्य विभाग नये साधन व तकनीक को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और टीबी उन्मूलन के लिए लगातार प्रयासरत है। जिले में टीबी मरीजों की खोज की जा रही है। वहीं मार्च महीने में स्वास्थ्य विभाग द्वारा केयर इण्डिया के सहयोग से टीबी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की बैठक भी सभी प्रखंडों में आयोजित की जा रही है, जिससे समुदाय में टीबी पर चर्चा होना शुरू हो गया है. बैठक में जनप्रतिनिधियों, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों, टीबी चैंपियन, ट्रीटमेंट सपोर्टर एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के बीच राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध निःशुल्क जाँच, उपचार एवं निक्षय पोषण योजना आदि तमाम विषय पर व्यापक जानकारी दी जा रही है.