- होली के पूर्व शासन व प्रशासन ने दी एक बड़ी सौगात
- कुल्हाड़ी में लकड़ी का जस्ता न होता तो लकड़ी के कटने का रास्ता न होता
- बड़हरिया के पूर्व थानाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण महतो भी हैं शामिल
परवेज अख्तर/सिवान:
बिहार में शराबबंदी कानून को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए सूबे की पुलिस के कंधों पर एक बहुत ही बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गई है। लेकिन अभी भी बड़े-बड़े शराब माफियाओं के धंधे अपने उरूज पर है। लेकिन शासन व प्रशासन ने जिसके कंधे पर शराबबंदी कानून को धरातल पर उतारने का बोझ दिया है। उन्हीं लोगों के द्वारा बड़े-बड़े शराब तस्करों से सांठगांठ कर शासन व प्रशासन के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण बिहार के कई जिलों से प्रकाश में आ चुका है। शराब तस्करी मामले में कई पुलिसकर्मी पकड़े भी गए। लेकिन हालात जस की तस बनी हुई है। या इसे यूं कहा जा सकता है कि ” कुल्हाड़ी में लकड़ी का जस्ता न होता तो लकड़ी के कटने का रास्ता न होता “! यहां बताते चले कि शराब तस्करी मामले में संलिप्त सुशासन बाबू के राज्य के 211 पुलिसकर्मियों पर पुलिस जगत के आला अफसर ने एक कड़ी कार्रवाई करते हुए उनलोगों को बर्खास्त कर दिया है।
211 बर्खास्त हुए पुलिसकर्मियों में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक जिला सिवान के आठ पुलिस पदाधिकारी व एक कॉन्स्टेबल शामिल हैं। जिनके विरुद्ध पुलिस जगत के आला अफसर ने कार्रवाई करते हुए उनके वर्दी उतार डालें हैं। उधर हुई इस बड़ी कार्रवाई से पूरे पुलिस महकमे में खलबली मची हुई है। यहां बताते चलें सिवान के जिन जिन पुलिस पदाधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। उनकी सूची हेड क्वार्टर द्वारा जिला मुख्यालय में भेजने की कवायद शुरू कर दी गई है। बर्खास्त किये गए पुलिस पदाधिकारियों में पु.अ.नि. में क्रमशः लक्ष्मी नारायण महतो, अजय कुमार सिंह, रितेश कुमार सिंह, अशोक कुमार यादव तथा पु.स.अ.नि. में क्रमशः लालबाबू मांझी, वीरेंद्र उपाध्याय, धनेश्वर यादव, सुधीर कुमार एवं एक कांस्टेबल पी.टी.सी. 362 उपेंद्र कुमार सिंह शामिल हैं। पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिन जिन पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया गया है उनको जिला पुलिस मुख्यालय तलाश करेगी की वे सिवान में ही पदस्थापित हैं या उनका स्थनांतरण दूसरे जिला में हो चूका है।