परवेज अख्तर/सिवान: अल्लाह की इबाबत है रमजान का हर एक रोजा. जहां रोजेदार रमजान के दौरान हर नियम-कायदा को पालन करते हुए अल्लाह की इबादत करते हैं. रोजेदार को कुरान की तिलावत, तरावीह की नमाज, पांचों वक्त की नमाज के साथ साथ जकात बहुत जरूरी होता है. इस बार रोजेदार सरकार के गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने परिजनों के साथ तरावीह की नमाज घरों में ही रहकर अपने परिजनों के साथ कर रहें हैं. सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के रोजेदारों ने रमजान का 11 वां रोजा रख अल्लाह की इबादत किया. वहीं उलेमाओं का कहना है कि रोजा अल्लाह की इबादत का एक तरीका है. सिर्फ पेट ही नहीं बल्कि पूरे बदन का रोजा होता है.
हमारी आंखें किसी को बुरी नजर से न देखे, हमारी जुबान किसी को बुरा न बोले, हमारे कान किसी की बुराई न सुने, हमारा हाथ किसी पर जुल्म के लिए न उठे. ऐसा रोजा ही अल्लाह की नजर में अहमियत रखता है. इस माह में गरीबों के हक में भी दान किया जाता है. जिसे जकात बोलते हैं. बताते हैं कि रमजान के महीने में जकात भी निकाली जाती है. अपनी जरूरतों पर खर्च करने के बाद जो जमा होता है, उसका चालीस प्रतिशत जकात के रूप में निकाला जाता है. जिन पर जकात है, वे ईद के दिन नमाज से पहले सदकातुल फितर निकालते हैं और अपने व अपने बच्चों की तरफ से गरीबों को दान करते हैं. रमजान का महीना कमजोर, विकलांग, बेसहारा व गरीबों की मदद करने के साथ सभी की मदद करने का संदेश देता है.