परवेज अख्तर/सिवान: सरकार की नीति के खिलाफ इन दिनों संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा काला बिल्ला लगाकर अपने कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है. उसका सबसे बड़ी वजह यह है के इस वैश्विक महामारी में अपनी जान की बाजी लगाकर संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी प्रतिदिन अपनी सेवा देने में जुटे हुए हैं. परंतु इन्हें सरकार द्वारा सरकारी कर्मी का दर्जा नहीं दिए जाने से भविष्य में होने वाले किसी अनहोनी की चिंता सता रही है. उनकी चिंता इस बात इस महामारी में यदि किसी स्वास्थ्य कर्मी की मृत्यु भी हो जाती है तो न तो इनके परिजनों को किसी प्रकार के बीमा की राशि मिलेगी और न ही परिजनों को किसी अन्य योजना का लाभ.
स्वास्थ्य प्रबंधक आलम ने बताया कि सरकारी कर्मी कोरोना कॉल के दौरान मृत्यु हो जाने पर सरकार द्वारा ₹50 लाख, 60 वर्ष तक उसके आश्रित को पूरा वेतन तथा पेंशन और किसी एक आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी भी दी जाएगी.जबकि संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. स्वास्थ्य प्रबंधक ने बताया कि स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर सभी संविदा कर्मी काला बिल्ला लगाकर अपना काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि संघ के आह्वान पर 11 मई तक काला बिल्ला लगाकर काम करेंगे.