परवेज अख्तर/सिवान: गंगपुर सिसवन स्थित एवं एसएच-89 के चौराहे पर लगाए गए महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा पर रविवार को करीब दर्जनों की संख्या में समाजसेवियों द्वारा माल्यार्पण कर जयंती मनाई गई. लोगों ने उनकी जीवन चरित्र पर बारी-बारी से प्रकाश डाला. मुखिया संघ के नेता आनंद सिंह ने बताया कि राजस्थान की भूमि में अनेकों वीरों ने जन्म लिया है. पर महाराणा प्रताप की बात ही अलग है. उनके पराक्रम के किस्से सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते है. बताया कि महाराणा प्रताप उस समय अकेले ऐसे राजपूत राजा थे.
जिन्होंने अपने से कई गुना शक्तिशाली अकबर से लोहा लिया था. कई राजपूतों ने अकबर के साथ मित्रता कर लिया. खुद राणा प्रताप के भाई अकबर का सेनापति था, बावजूद राणा ने अकेले ही मुगल साम्राज्य के विरुद्ध झंडा बुलंद किया. चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर जब अकबर ने आक्रमण कर कब्जा कर लिया, बावजूद राणा प्रताप के पिता उदय प्रताप सिंह ने अकबर की स्वाधीनता स्वीकार नहीं की. पिता की मृत्यु के बाद चित्तौड़गढ़ की विरासत राणा प्रताप ने संभाला और गुरिल्ला युद्ध से अकबर को नाकों तले चना चबवा दिया.