परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ: बिहार की सियासत में बाहुबली नेताओं की धमक शुरू से ही देखी जाती रही है. चुनाव में ऐसे बाहुबली नेताओं की पूछ-परख हर पार्टी में होती रही है. बिहार में कुछ ऐसे बाहुबली नेता हैं जिनकी हनक आज भी राजनीति में देखी जाती है लेकिन अब बाहुबल का दौर गुजर गया है. सियासी पहुंच का फायदा उठाकर उनके बेटे मैदान में आ गए हैं. ये युवा नेता अपने बाहुबली इमेज नहीं बल्कि राजनीति के नई धारा और विकास को फ़ोकस कर सियासत में अपनी पहचान बनाने में जुटे हैं. आइये एक नजर इन युवा नेताओं पर डालते हैं जो बहुत ही खामोशी से अपनी अहमियत दिखाते हुए आने वाले समय में बिहार के सियासत में धमक दिखा सकते हैं. वो भी अपने बाहुबली पिता के इमेज से अलग रहकर.
चेतन आनंद: चेतन आनंद, पूर्व सांसद आनंद मोहन और पूर्व सांसद लवली आनंद के बेटे हैं. आनंद मोहन इस वक़्त सहरसा जेल में तत्कालीन गोपालगंज DM की हत्या के आरोप में बंद है. चेतन आनंद ने 12वीं तक की पढ़ाई देहरादून के चर्चित स्कूल वेलहम ब्वायज स्कूल से की. उसके बाद symbiosis international University Pune से communication design का कोर्स किया. शूटिंग में भी चेतन आनंद ने अपना जलवा बिखेरा है. चेतन आनंद राजनीति में उस समय आए जब उनके पिता जेल में थे और मां पूर्व सांसद लवली आनंद चुनाव लड़ रही थीं. मां की सियासत देखते-देखते परिस्थितियां ऐसी बनीं की चेतन आनंद भी राजनीति में आ गए और आज शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं. चेतन आनंद अपने पिता को बाहुबली कहने पर एतराज जताते हैं. कहते हैं कि मेरे पिता हमेशा ज़रूरतमंदों की सेवा करते आए हैं. उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था. मैं जो ज़रूरतमंद होगा उसके लिए सदैव खड़ा रहूंगा. अपनी पार्टी आरजेडी को भी तेजस्वी यादव की अगुवाई में मज़बूत करता रहूंगा.
सार्थक रंजन: सार्थक रंजन, पूर्व सांसद पप्पू यादव के बेटे हैं. पप्पू यादव फिलहाल 32 साल पुराने एक मामले में जेल में हैं. इनकी मां पूर्व सांसद रंजीत रंजन कांग्रेस की एक बड़ी नेत्री हैं. सार्थक को राजनीति में बहुत ज़्यादा रुचि नहीं थी. दिल्ली के प्रतिष्ठित जीडी गोयनका स्कूल से पढ़ाई की है. दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज में भी पढ़ाई की है लेकिन सार्थक की एक अपनी अलग पहचान भी है. सार्थक दिल्ली से फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट भी खेल रहे हैं और क्रिकेट में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं. फ़िलहाल राजनीति में उनका आना भी तय माना जा रहा है क्योंकि पप्पू यादव जब जेल में थे तो अपने पिता की रिहाई के लिए जिस तरह से सोशल मीडिया में उन्होंने अपनी बात कही, उसके बाद से ये क़यास और तेज हो गया है. बहुत जल्द सार्थक बिहार के सियासत में अपने पैर रख सकते हैं. सार्थक की मां रंजीत रंजन कहती हैं कि सार्थक को तय करना है कि वो राजनीति में आएंगे या नहीं. अगर वो राजनीति में आते हैं तो हमें कोई एतराज नहीं है. पप्पू यादव ने भी कई बार इशारा किया है कि सार्थक समय आने पर बिहार की सियासत में एंट्री करेंगे.
ओसामा शहाब: स्वर्गीय मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे हैं. शहाबुद्दीन क़त्ल के एक मामले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहा थे जहां कोरोना से उनकी मौत हो गई. परिस्थितियां ऐसी बनी की ओसामा को अचानक से बिहार आना पड़ा. ओसामा भी एक तेज तर्रार छात्र रहे हैं. दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्कूल से पढ़ाई की और उसके बाद एमिटी स्कूल से पढ़ाई कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए लंदन चले गए जहां वो कानून की पढ़ाई कर रहे थे. ओसामा के माता-पिता की इच्छा थी की उनका बेटा बड़ा वकील बने लेकिन इसी बीच मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत हो गई तो ओसामा को बिहार आना पड़ा. ओसामा कहते हैं, “मुझे 2019 में पारिवारिक हालत को देखकर बिहार आना पड़ा, लेकिन मैं लॉ की पढ़ाई पूरी करना चाहता हूं. छह महीने और बचा हुआ है और फिर बिहार में आकर राजनीति के बारे में सोचूंगा.”
फ़िलहाल ओसामा के बढ़ते कद का अंदाजाअ इसी से लगाया जा सकता है कि उनसे मिलने कई पार्टी के नेता सिवान पहुंचे. ओसामा और उनके परिवार के लोगों ने साफ़ कर दिया है कि शहाबुद्दीन का परिवार पूरी मज़बूती से आरजेडी के साथ खड़ा रहेगा. तेजप्रताप यादव भी जब सिवान पहुंचे थे तो उन्होंने ओसामा को अपना भाई बताया था और उनके साथ पूरी मज़बूती से खड़े होने की बात भी कही थी. ओसामा आने वाले समय में बिहार की सियासत में मज़बूत रोल अदा करते दिख सकते हैं.