पटना: आधिकारिक घोषणा न होने के बावजूद राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव टल गया है। राज्य सरकार यही मानकर चल रही है कि अब पंचायतों के चुनाव नहीं होंगेे। पंचायती राज विभाग वैकल्पिक उपायों को लेकर तैयार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति मिलते ही फैसला हो जाएगा। मुख्यमंत्री फिलहाल कोरोना प्रबंधन में व्यस्त हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के स्तर से जब कभी मांग होगी, पंचायती राज विभाग प्रस्ताव लेकर हाजिर हो जाएगा।
अगले महीने की 15 तारीख को मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। राज्य के पंचायती राज अधिनियम में इस स्थिति की कल्पना नहीं की गई थी। समय पर चुनाव न होने की हालत में क्या वैकल्पिक इंतजाम हो सकते हैं, इसकी व्यवस्था अधिनियम में नहीं की गई है। कोरोना के चलते उत्पन्न हुई असाधारण परिस्थिति से निबटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार अध्यादेश लाने के अलावा कोई उपाय नहीं है।
फिलहाल दो विकल्प सुझाए जा रहे
फिलहाल दो विकल्प सुझाए जा रहे हैं। पहला यह कि 15 जून के बाद पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज की जिम्मेवारी के लिए प्रशासक नियुक्त किए जाएं। यह व्यवस्था पिछले साल ऐसी ही स्थिति आने पर उत्तर प्रदेश में की गई थी। दूसरा विकल्प झारखंड का है। झारखंड में प्रबंध समितियों का गठन किया गया है। निवर्तमान प्रतिनिधियों को ही कार्यकारी अधिकार दे दिए गए हैं। पंचायत राज मंत्री सम्राट चौधरी ने सोमवार को बताया-विभाग दोनों विकल्पों पर विचार कर रहा है। लेकिन, अंतिम निर्णय सरकार करेगी।
क्या है राजनीतिक दलों की राय
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि प्रशासक नियुक्त करना ही मुनासिब होगा। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना था कि इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बेहतर फैसला ले सकते हैं। इधर सत्तारूढ़ हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के अलावा मुख्य विपक्षी दल राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा निवर्तमान प्रतिनिधियों के नेतृत्ववाली प्रबंध समिति के पक्ष में हैं।