- एसपी ने किया था तलब, पर षड्यंत्र रचकर बदनाम करने की हुई थी कोशिश
- खाकी धारी की संलिप्तता, सही थी तो यह मामला खाकी की गरिमा को तार-तार करने जैसा था
एडिटर इन चीफ (परवेज अख्तर)
हाजीपुर के महनार महिला थाना में पदस्थापित महिला सब इंस्पेक्टर सरिता चौधरी पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में रहीं। कारण इनका एक वीडियो फुटेज आसामाजिक तत्वों द्वारा लगातार वायरल किया जा रहा था। जिसमें महिला सब इंस्पेक्टर थाना क्षेत्र के प्यासी गली के समीप सड़क पर वर्दी में टहल रही थी।वीडियो को लेकर ऐसी चर्चा थी कि महिला सब इंस्पेक्टर सरिता चौधरी का यह फुटेज वसूली से संबंधित है। जैसे-जैसे महिला सब इंस्पेक्टर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर छलांग लगाता गया, वैसे वैसे खबर जंगल में लगी आग के भांति फैल गई। नतीजा वैशाली एसपी ने वीडियो के आधार पर महिला सब इंस्पेक्टर को तलब भी कर लिया, मिली जानकारी अनुसार सरिता चौधरी से पुलिस अधीक्षक ने 24 घंटे के भीतर उपरोक्त वायरल वीडियो पर जवाब मांगा था।
उन्हें यह बताना था कि तेजी से वायरल हो रहा यह वीडियो जिसमें उनकी मौजूदगी है वह कैसी है और जिस जगह वह खड़ी हैं, वहां क्या करने गई थी। जवाब मांगा जाना जरूरी था क्योंकि वीडियो को जिस आरोप के साथ प्रसारित किया जा रहा था यदि उसमें खाकी धारी की संलिप्तता, सही थी तो यह मामला खाकी की गरिमा को तार-तार करने जैसा था। लेकिन जवाब देने से पहले महिला सब इंस्पेक्टर सरिता चौधरी ने मीडिया का सहारा लिया और जब पूरे मामले में उनसे सवाल किए गए तो उनकी तरफ से जो सफाई पेश की गई उसमें सच्चाई झलक रही थी परंतु मामला जांच का बन गया था वैसे बातचीत के दरमियान सरिता चौधरी ने साफ-साफ कहा कि कांड संख्या 93/21 में वह प्यासी गली चार्ज शीट पर हस्ताक्षर हेतु गई हुई थी थाने की गाड़ी क्षेत्र में होने के कारण इनके द्वारा किसी परिचित अधिवक्ता का सहारा लिया गया था।
वह सहयोगी अधिवक्ता की दोपहिया पर सवार हो केस में कार्रवाई हेतु गई थी। इन्होंने पूछे जाने पर यह भी कहा कि अधिवक्ता को कोई काम था इस दरमियान वह मोटरसाइकिल से नीचे उतर सड़क के किनारे टहल रही थी। साथ गए अधिवक्ता जैसे अपना काम निपटा पुनः लौटे वह फिर उनके साथ उसी गाड़ी पर सवार हो थाना लौट आई।इसके बाद क्या हुआ इन्हें कुछ नहीं पता, जब इनसे वसूली के तौर पर प्रसारित वीडियो के संबंध में पूछा गया तो इनका स्पष्ट कहना था कि वसूली की कोई बात ही नहीं है।बस मोटरसाइकिल से उतरी थी।अधिवक्ता के आने का इंतजार कर रही थी। हकीकत यही है दरोगा की बातों और वीडियो को आमने सामने रख बात किया जाए तो यह पता चल रहा था कि वाकई महिला सब इंस्पेक्टर सिर्फ टहल रही है ऐसा कोई पहलू नहीं है।वायरल वीडियो में जो यह साबित करें कि मामला वसूली का है।
बहरहाल प्रकरण तूल पकड़ चुका था। ऐसे में इतनी आसानी से कुछ भी कहना अनुचित प्रतीत हो रहा था।सबकी निगाहें जांच पर टिकी हुई थी। इधर महिला सब इंस्पेक्टर सरिता चौधरी की छवि पर एक नजर डालें तो इनकी कार्यप्रणाली की चर्चा होती है।अहम बात है कि राष्ट्रपति और डीजीपी से इन्हें उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मान भी प्राप्त है लिहाजा ऐसी छवि पर वसूली का आरोप जरूर कुछ लोगों को परेशान कर रही थी।चर्चाओं का बाजार गर्म था। इसी बीच खबर आई की जांच पड़ताल में सरिता चौधरी पर लगे आरोप बेबुनियाद साबित हुए हैं।इनके खिलाफ जांच में ऐसा कोई साक्ष हासिल नहीं हुआ है। जो यह बताएं कि महिला सब इंस्पेक्टर घूसखोर है या वीडियो वसूली का है। कुल मिलाकर महिला सब इंस्पेक्टर की बातें सच साबित हुई।और अब पूरे प्रकरण को लेकर बात करें तो इसमें महिला सब इंस्पेक्टर के खिलाफ गहरी साजिश की झलक है। जो यह बयां कर रही है कि महिला सब इंस्पेक्टर को फुटेज का सहारा लेकर फंसाए जाने की कोशिश की गई है।जिसमें साजिश कर्ताओं को विफलता हाथ लगती नज़र आ रही है।