परवेज कहतेर/एडिटर इन चीफ:
राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव अपने अलग अंदाज के लिए हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। एक बार फिर तेज प्रताप यादव अपने बिरले अंदाज के चलते सुर्खियां बटोर रहे हैं। दरअसल, उन्होंने ‘लालू-राबड़ी राधा-कृष्ण’ नाम से अगरबत्ती लांच की है। इंटरनेट मीडिया पर इसको लेकर चर्चा जोरों पर है।
समस्तीपुर जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से राजद विधायक तेज प्रताप यादव ने राजधानी पटना में अगरबत्ती का शोरूम खोला है। जहां अगरबत्ती के साथ-साथ पूजा-अर्चना की हर एक सामग्री मौजूद है। श्री कृष्ण के परम भक्त के रूप में पहचाने जाने वाले तेज प्रताप ने यहां भी उनकी मुर्तियां रखी हैं। वो कहते हैं कि हमारी एलआर राधा कृष्ण अगरबत्ती फूलों से बनी हैं, जो पूरी तरह से शुद्ध अगरबत्ती है। इसमें किसी तरह के कोई भी केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है।कोरोना को लेकर भी तेज प्रताप ने कहा कि इस अगरबत्ती का प्रयोग घर में शुद्ध वातावरण निर्मित करेगा। उन्होंने जारी वीडियो में कहा कि हमारी अगरबत्ती कई वैरायटी में मौजूद हैं। ऑनलाइन बिक्री भी की जा रही है।
भागलपुर में चर्चा जोरों पर
तेज प्रताप यादव के उठाए गए इस कदम की भागलपुर में भी चर्चा हो रही है। दरअसल, भागलपुर के बरारी और कहलगांव औद्योगिक क्षेत्र के रूप में जाने जाते हैं। यहां अगरबत्ती निर्माण का कार्य लघु और घरेलु उद्योग के रूप में चल रहा है। कोरोना काल में जहां धार्मिक स्थानों में भी ताला लटक गया। वहीं, अगरबत्ती उद्योग को भी खासा झटका लगा है।
ऐसे में अगरबत्ती उद्योग से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में यदि कोई इस तरह के कदम उठाता है, तो निश्चित तौर पर हमारे इस कार्य को चार चांद लगेंगे। जिले के अकबरनगर के खेरैहिया गांव की अनिता देवी, किरण देवी आदि कई महिलाएं अगरबत्ती बनाती हैं। उनका कहना है कि पटना में ही नहीं तेज प्रताप यादव को बिहार के हर जिले में अगरबत्ती का उद्योग स्थापित करने के लिए पहल करनी चाहिए, ताकि हमारा रोजगार और बढ़े।
सावन में होती जमकर बिक्री
गौरतलब हो कि बिहार की पावन धरती आस्था की प्रतीक है। ऐसे में बात करें आने वाले सावन की, तो भोले भक्त भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ मंदिर से पूजा कर यहां से गंगाजल उठाते हुए देवघर और बासुकीनाथ धाम जाते हैं। ऐसे में भारी मात्रा में अगरबत्ती की बिक्री होती है। यहां सावन में एक माह तक श्रावणी मेले का आयोजन होता है, जो बिहार-झारखंड को एक सूत्र में जोड़ता है।