- कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रसित बच्चों के समुचित उपचार की व्यवस्था
- आइसोलेशन वार्ड का किया जायेगा निर्माण
- उचित रेफरल की होगी पूर्ण व्यवस्था, मिलेगी नि:शुल्क एंबुलेंस
छपरा: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच पोषण एवं पुनर्वास केंद्र ( एनआरसी) पर कुपोषित एवं कोरोना संक्रमित बच्चों की उचित देखभाल और उपचार की व्यवस्था की जाएगी | साथ ही अब कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रसित बच्चों के समुचित उपचार के साथ- साथ देखभाल की समुचित व्यवस्था की जाएगी। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को एक चिट्ठी जारी की है। वैसे पोषण एवं पुनर्वास केंद्र जहां सिर्फ एक कमरा और कम से कम दो दरवाजे हों वहां शारीरिक दूरी के कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रसित बच्चों के समुचित उपचार के लिए पूर्ण रूप से आइसोलेशन वार्ड का निर्माण करना है।
कोरोना संक्रमित बच्चों के लिए अलग कमरा
जारी पत्र में निर्देश दिया गया है कि वैसे पोषण एवं पुनर्वास केंद्र जहां एक से अधिक कमरों में बच्चों को रखा जाता है। वहां कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रसित एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए अलग से एक कमरा चिह्नित किया जाना है। इसके साथ ही आइसोलेशन वार्ड के प्रत्येक बेड तक ऑक्सीजन स्पोर्ट की भी व्यवस्था सुनिश्चित करानी है।
उचित रेफरल की होगी पूर्ण व्यवस्था, मिलेगी नि:शुल्क एंबुलेंस
इसके साथ ही पोषण पुनर्वास केंद्र में साफ-सफाई के साथ -साथ सैनिटाइजेशन की भी व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाएगी। यहां भर्ती सभी बच्चों एवं उसके अभिभावकों के बीच अनिवार्य रूप से शारीरिक दूरी के नियम के तहत एक दूसरे से कम से कम दो गज या छह फीट की दूरी कायम रखना है। इसके अलावा एनआरसी से रेफरल की भी पूर्ण व्यवस्था होगी ताकि विशेष परिस्थिति में बच्चों को दूसरे जगह रेफर किया जा सके। इसके लिए एनआरसी पर 102 एम्बुलेंस की सेवा निःशुल्क उपलब्ध करायी जाएगी ।
कोरोना की तीसरी लहर के लिए सचेत रहें अभिभावक
सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से डरे नहीं बल्कि सचेत रहें और बच्चों को भी समझाएं कि उन्हें क्या करना, क्या खाना है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर दें, जिससे वो इस वायरस का सामना कर सके । तीसरी लहर में बच्चों को अधिक संक्रमित होने की आशंका है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए उनके लिए पूरी सतर्कता बरतनी होगी।