- बुधवार की देर रात तक कई शोअराओ ने इमाम हसन हुसैन की शहादत पर डालते रहे प्रकाश
- शायरों के नातखानी से गूंज उठा मोहल्ला,उपस्थित लोगों ने नहीं रोक पाए अपनी अपनी आंखों के आंसुओं को
परवेज अख्तर/सिवान:
मरने वाले मरते हैं लेकिन फना होते नहीं वो हकीकत में कभी हमसे जुदा होते नहीं। इसी तर्ज पर शहीद इमाम हसन हुसैन की याद में जिले के जी.बी.नगर थाना क्षेत्र के तरवारा बाजार स्थित अंसारी मोहल्ला में बुधवार की रात्रि आयोजित शहीद-ए-आजम कॉन्फ्रेंस शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।आयोजित कांफ्रेंस की अध्यक्षता हाजी मौलाना मोहम्मद अली साहब ने की।जबकि कॉन्फ्रेंस की निजामत तरवारा जामे मस्जिद के खतीबो इमाम मुफ्ती फैयाज अहमद ने की।इस दौरान बुधवार की देर रात तक इमाम हसन हुसैन की शहादत पर कई नामी गिरामी ओलमा व शोअराओ ने प्रकाश डाला।इस दौरान मुफ्ती सुल्तान रजा शिवानी ने इमाम हसन हुसैन की शहादत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरी दुनिया में उनकी शहादत से हम लोगों को यही सीख मिलती है कि दुनिया में अमन चैन से बेहतर कुछ भी नहीं है।उन्होंने कहा कि हक और बातिल की लड़ाई में हक के लिए उन्होंने अपनी जान को निछावर कर दिया।
उन्होंने आगे कहा कि कर्बला की लड़ाई हक और बातिल के बीच थी।आयोजित कांफ्रेंस में उपस्थित मशहूर व मारूफ शायरे इस्लाम हाफिज मोहम्मद हारून रजा वारसी ने अपनी सुरीली आवाज में नातिया कलाम को पेश करते हुए पढ़ा कि “फातमा का लाड़ला,जो अली के घर पला,वो हुसैन इब्ने अली “। पैकरे सबरो रजा,बादशाहे कर्बला व हुसैन इब्ने अली।वहीं मशहूर व मारूफ शायरे इस्लाम दिलकश गोपालगंजवी ने अपने नातिया कलाम में पढ़ा की “कर्बला का सबक है,भुलाना नहीं,सर कटाना मगर, सर झुकाना नहीं।
दोनों शायारे इस्लाम द्वारा पढ़ी गई नात शरीफ को सुन उपस्थित लोग शहीद इमाम हसन हुसैन की याद में अपनी अपनी आंखों में आंसू लिए झूमने पर मजबूर हो गए।इस दौरान पूरा महफिल या हसन या हुसैन के नारों से गूंज उठा। इसके अलावा उपस्थित मशहूर शोअरा सह तरवारा जामे मस्जिद के खतीबो इमाम मुफ्ती फैयाज अहमद ने शहीद इमाम हसन हुसैन के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि अगर इंसान के दिलों में सच्ची लगन हो तो वह कोई भी मुकाम हासिल कर लेगा।इमाम हसन हुसैन की शहादत से हमें यही सबक मिलती है।
उन्होंने कहा कि कर्बला की लड़ाई 72 बनाम 22,000 लश्करों से थी।लेकिन कर्बला के मैदान में जाने वाले 72 लोग सच्ची लगन के साथ लड़ाई के मैदान में शामिल हुए थे। जिसका नतीजा यह निकला कि 72 बनाम 22,000 लश्करों के बीच छिड़ी जंग में हक की फतह हासिल हो गई।वहीं तरवारा बाजार स्थित मदरसा जामिया बरकातीया अनवारूल उलूम के हेडमास्टर मौलाना हामिद रजा समसी ने शहीद इमाम हसन हुसैन के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि किस तरह हजरत मोहम्मद स. व. के नवासे हजरत इमाम हसन हुसैन और उनके साथ रहने वालों ने किस तरह अपनी कुर्बानी देकर इस्लाम को बचाया और जंगे कर्बला की लड़ाई में फतह हासिल की वह कयामत तक लोगों के बीच बनी रहेगी।आयोजित कांफ्रेंस को सफल बनाने में अंसारी मोहल्ला के सभी युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।पूरा मोहल्ला को दुल्हन की तरह सजाया गया था।
कमेटी के सदस्यों द्वारा महिलाओं को बैठने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी तथा दूर दराज से आए हुए शहीद इमाम हसन हुसैन के चाहने वालों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था कमेटी के सदस्यों द्वारा की गई थी।आयोजित कांफ्रेंस को सफल बनाने में प्रमुख रूप से आयोजनकर्ता अब्दुल करीम रिजवी,गोल्डेन सैफी, तथा महफूज अंसारी थे। इस मौके पर समाजसेवी मुमताज आलम, इफ्तेखार अंसारी उर्फ सोनू बाबू ,मिस्टर अंसारी,नेयाज सैफी,हफिज सैफी,शाहरुख इराकी,इरफान उर्फ राजा बाबू, तौसीफ रजा उर्फ सोना बाबू, शब्बीर अंसारी,क्यामुद्दीन अंसारी,दिलजान अंसारी,असगर इराकी, शमशीर अंसारी, मुस्ताक अंसारी,अब्दुल कादिर अंसारी, सोना अंसारी,ज्ञासुद्दीन शाह,जैनुद्दीन अंसारी, इरशाद अंसारी, साजिद अंसारी,इम्तियाज अंसारी, सैफ अली अंसारी, जुनेद अंसारी, परवेज अंसारी,फरीद अंसारी,अबरार अहमद उर्फ राजा बाबू,अरमान अंसारी, राजा अंसारी, साहिल राजा ,फैयाज अली शाह, हारून शाह,नजरे शाह समेत सभी अंसारी मोहल्ला के युवा शामिल थे।