सिवान: आदेश का पालन करने वाले शिक्षक का निलंबन एक अप्रत्याशित व दुर्लभ घटना

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परवेज अख्तर/सिवान: बोरा प्रकरण मामले में कटिहार के प्रधानाध्यापक मो तजिमुद्दीन के निलंबन को लेकर जिला समन्वय समिति के तमाम शिक्षक संगठन व उसके प्रतिनिधि आगबबूला है। विरोध की आग अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। इसको लेकर बिहार के कोने-कोने में एक बार पुन: शिक्षक अपनी सम्मान व अस्मिता की रक्षा के लिए गोलबंद होना शुरू कर दिये है। इसी कड़ी में शहर के गांधी मैदान में बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा की अगुवाई में सरकार की हिटलरशाही रवैये, प्रोपेगंडा व दमन के खिलाफ जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया गया। शर्मा ने विभाग द्वारा कृत कार्रवाई की घोर निंदा की।

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बताया कि मो तजिमुद्दीन का निलंबन कोई आम निलंबन नहीं बल्कि शिक्षकों की अस्मिता पर सरकार का एक जोरदार तमाचा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव रंजन तिवारी ने कहा कि सरकार की नीति और नियति दोनों शिक्षकों के विरुद्ध है। जब से शिक्षकों ने अपनी संवैधानिक मांग “समान काम समान वेतन” की आवाज उठाई है तब से आए दिन नियम विरुद्ध व असंवैधानिक पत्र जारी कर शिक्षकों को परेशान किया जाता रहा है। सरकार की ऐसी ओछी व उपेक्षित हरकत से बिहार के तमाम शिक्षक काफी रोष में है ।

टीईटी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजनीश कुमार मिश्रा ने बताया कि जब शिक्षकों द्वारा बोरा बेचने से सरकार की छवि खराब होती है तो ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व असंवैधानिक आदेश निर्गत करने का क्या मतलब ? विभागीय आदेश का पालन करने वाले को यदि सजाएं निलंबन मिलती है तो इस तरह के आदेश निर्गत करने वाले अधिकारी को सरकार बर्खास्त करने के बजाए मौन क्यों बैठी है। यदि सरकार तनिक भी शिक्षकों के प्रति संवेदनशील है तो मो० तजिमुद्दीन का निलंबन वापस लें व आए दिन शिक्षकों को परेशान करने वाले ऐसे आदेश निर्गत करने वाले अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई कर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें।

परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के जुझारू नेता रूपेश राय ने बताया कि बेशक, आदेश का पालन करने वाले शिक्षक को निलंबित करना एक अप्रत्याशित व दुर्लभ घटना है परंतु विभाग व सरकार लगभग डेढ़ दशक से शिक्षकों के साथ प्रताड़ित करने का अजूबा खेल खेला जाता रहा है। शिक्षकों ने ठाना है यदि विभाग तुगलकी फरमान को अभिलंब वापस नहीं लेती है तो जिले के तमाम शिक्षक संगठन एकजुट होकर सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करने के लिए विवश होंगे। जरूरत पड़ी तो न्यायालय में भी लंबी लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे। मौके पर सुधीर कुमार शर्मा, मो शाहिद आलम, रजनीश मिश्रा, रूपेश राय, विनय कुमार सिंह, संजय राय, गंगा सागर पासवान, गौतम मांझी, मनोज कुमार यादव, श्री कांत सिंह, प्रदीप मिश्रा, भानु प्रताप सिंह, राजेश, साजन कुमार दास, मनोज राम समेत संगठन के कई प्रतिनिधि मौजूद थे।